नोटबंदी के बाद जिला सहकारी बैंकों में जमा हुई रकम का आंकड़ा हैरान करने वाला है। आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा हुई और उसके तुरंत बात ही इन बैंकों में पैसा तेजी से बढ़ गया।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक 10 से 15 नवंबर के बीच 17 राज्यों के जिला सहकारी बैंकों में 9000 करोड़ रुपये तक जमा हुए। अपनी माली हालात और नुकसान की समस्या से जूझ रहे इन बैंकों में अचानक जमा हुई रकम सवालों के घेरे में आ गई है।
जिला सहकारी बैंकों के पास अचानक पुराने नोटों के रूप में 147 करोड़ रुपये जमा हुए, जिसके बाद सरकार और नीति निर्माताओं ने इन बैंको को 500 और 1000 के नोट लेने से मना कर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि जिन लोगों की इन बैंकों में अच्छी पहचान थी, उन्होंने अपनी अघोषित रकम को नए नोटों में बदलवा लिया।
जिला सहकारी बैंकों के पास अचानक पुराने नोटों के रूप में 147 करोड़ रुपये जमा हुए, जिसके बाद सरकार और नीति निर्माताओं ने इन बैंको को 500 और 1000 के नोट लेने से मना कर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि जिन लोगों की इन बैंकों में अच्छी पहचान थी, उन्होंने अपनी अघोषित रकम को नए नोटों में बदलवा लिया।
केरल में सीमांत किसान और छोटे व्यापारियों के खाते इन जिला सहकारी बैंकों में हैं। एक शीर्ष अधिकारी कहते हैं “ये जांच का विषय है कि ऋण पर निर्भर इन जमाकर्ताओं ने आखिर कैसे पांच दिनों के भीत 1810 करोड़ रुपये जमा कर दिए।
वहीं पंजाब की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। यहां भी 20 से ज्यादा जिला सहकारी बैंकों के पास इन पांच दिनों में 1268 करोड़ रुपये जमा हो गए। वहीं महाराष्ट्र में 10 से 14 नवंबर के बीच 1128 करोड़ रुपये जमा हुए।
वहीं पंजाब की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। यहां भी 20 से ज्यादा जिला सहकारी बैंकों के पास इन पांच दिनों में 1268 करोड़ रुपये जमा हो गए। वहीं महाराष्ट्र में 10 से 14 नवंबर के बीच 1128 करोड़ रुपये जमा हुए।