नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल के कुछ जगहों पर सेना की तैनाती को लेकर मचे राजनीतिक हंगामे के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 36 घंटे बाद राज्य सचिवालय ‘नाबन्ना’ से निकलकर वह अपने घर पहुंचीं. उन्होंने कहा कि राज्य में सेना की तैनाती उनके खिलाफ राजनीतिक बदले की कार्रवाई है. ममता ने कहा कि चूंकि नोटबंदी पर वो आम आदमी के साथ खड़ी हुईं इस वजह से केंद्र सरकार उनके खिलाफ है. उन्होंने कहा कि मेरे दिल में सेना के लिए गहरा सम्मान है, लेकिन उस तरीके को लेकर दुखी हैं, जिसमें उनका इस्तेमाल ‘राजनीतिक प्रतिशोध की भावना’ के लिए किया जा रहा है.’
टीएमसी ने टोल प्लाजा पर सेना की मौजूदगी, स्थानीय अधिकारियों के संज्ञान में रखकर नियमित अभ्यास की तरह होने के बीजेपी के दावे पर पलटवार करते हुए केंद्र से दस्तावेज दिखाने को कहा जिससे साबित हो कि राज्य ने इसे बुलाया या इसके लिए अनुमति दी.
टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि असल में कोलकाता पुलिस ने एक खत लिखा कि राज्य में सेना नहीं भेजी जानी चाहिए. साथ ही कहा कि वह सोमवार को संसद में पत्र सामने रखेंगे. उन्होंने कहा, केंद्र सरकार एक भी पत्र हमें दिखा दे जिससे साबित हो कि पश्चिम बंगाल सरकार ने सेना को राज्य में बुलाया. इस तरह का कोई पत्र नहीं है.
सेना का जवाब
सेना की ओर से बयान जारी करते हुए मेजर जनरल सुनील यादव ने कहा कि सेना सिर्फ भारी वाहनों के डाटा जमा कर रहे हैं. यह एक वार्षिक अभ्यास है, जो हर साल होता है. मेजर जनरल ने कहा कि पूरे प्रांत में 80 से ज्यादा डाटा कलेक्शन प्वाइंट बनाए गए हैं. सेना ने ऐसा ही अभ्यास 26 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में किया था. इन सभी जगहों पर पांच से छह जवान होते हैं और यह सभी बिना हथियारों के होते हैं. इस तरह के अभ्यास में उत्तर पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम और सिक्किम शामिल हैं. मेजर जनरल ने कहा कि कि यह एक रुटीन अभ्यास था इसको स्थानीय पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस तरह का अभ्यास सेना अपने ऑपरेशन पर्पज के लिए करती है
क्या है पूरा मामला
गुरुवार देर रात ममता बनर्जी ने ट्वीट कर बताया है कि बंगाल राज्य सचिवालय के बाहर सेना तैनात कर दी गई है. ममता बनर्जी ने ट्वीट में कहा, ‘पुलिस के विरोध के बावजूद अति सुरक्षित इलाके में सेना भेजना दुर्भाग्यपूर्ण है.” उन्होंने धमकी दी कि जब तक सेना को टोल प्लाजा से नहीं हटाया जाता, वो सचिवालय में ही डेरा जमाए रहेंगी. उन्होंने जानना चाहा, क्या यह संघीय व्यवस्था पर हमला है. हम मुख्य सचिव केंद्र को पत्र लिख रहे हैं. इस मुद्दे को लेकर मैं राष्ट्रपति से बात करूंगी. मुख्यमंत्री ने कहा, सेना हमारी संपत्ति है. हमें उनपर गर्व है. हमें बड़ी आपदाओं और सांप्रदायिक तनाव के दौरान सेना की जरूरत होती है. ममता ने दावा किया कि टोल प्लाजा पर सेना तैनात होने के कारण लोगों में अफरा-तफरी है.