जोखू वैली को कभी बेजान मानकर इसके अपने लोगों ने ही इससे मुंह मोड़ लिया था। मगर आज वही लोग इसकी खूबसूरती का बखान करते नहीं थकते। उंचे-नीचे हरे पहाड़, रहस्य से भरे भूतिया ठूंठ, नीला आसमान, बीच में शीशे सी चमकती नदी। इन सबके बीच बैंगनी रंग के जोखू लिली के फूल, जो दूसरे सफेद, पीले व लाल रंग के फूलों के साथ एक इंद्रधनुषी पेंटिंग तैयार करते हैं। जोखू लिली के फूल यहां के अलावा कहीं और नहीं मिलते और वह भी सिर्फ मानसून में। यहां पहुंचने का रास्ता थोड़ा मुश्किल जरूर है, लेकिन ‘स्वर्ग’ कहां आसानी से दिखाई देता है। करीब एक घंटे की खड़ी चढ़ाई के बाद आगे बांस के झुरमुटों के बीच से करीब 3 घंटे की ट्रैकिंग के बाद आपको इस खूबसूरत वैली की पहली झलक देखने को मिलती है।
यकीन मानिए छोटे-छोटे टीलों से दिखने वाले हरे पहाड़, रंग-बिरंगे फूल और उन पर पड़ती सूरज की किरणें आपको पहली नजर में ही मोह लेंगी। आप चाहें तो यहां पर रात भी बिता सकते हैं। पर्यटन विभाग की मदद से यहां पर रहने के लिए दो कमरे और एक किचन तैयार किया गया है, जहां आपको आधारभूत चीजें मिल जाएंगी। यहां कुछ पैसे खर्च कर आप बिस्तर, तकिया, कंबल सब कुछ पा सकते हैं। हालांकि आप चाहें तो अपना टेंट भी लगा सकते हैं। वैली में बहती नदी के किनारे कैंप लगाने का रोमांच अलग ही है।