संघ शिक्षा वर्ग उरई में स्वयंसेवकों को कम बोलने और ज्यादा काम का पाठ पढ़ाने वाले सरसंघचालक इस मामले में खुद चलती-फिरती पाठशाला हैं। उरई आते-जाते दो दिन उनका कानपुर में अल्प प्रवास रहा लेकिन, अपने अनुशासन और तरीके से ही वह स्वयंसेवकों को तमाम संदेश दे गए।
शनिवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत कानपुर आए तो पूर्वी क्षेत्र संघचालक वीरेंद्रजीत सिंह के घर संघ पदाधिकारियों को अनुसूचित जाति और गरीबों की फिक्र करने के लिए कहा। संघ के विस्तार के लिए प्रेरित किया। फिर दिवंगत सह प्रांत संघचालक काशीराम के घर पहुंचकर संघ परिवार और स्वयंसेवक के रिश्तों का मान बढ़ाया। वहां से उरई चले गए। रविवार शाम को फिर कानपुर आए। तय कार्यक्रम के मुताबिक उन्हें क्षेत्र संघचालक के घर पर ही अल्प विश्राम और रात्रि भोज करना था। मगर, उन्होंने कार्यक्रम में तब्दीली करा दी। पहले दिन इतने वरिष्ठ पदाधिकारी तो दूसरे दिन वह किदवई नगर के सह नगर कार्यवाह संजय मिश्रा के नौबस्ता स्थित आवास पहुंच गए। वहां भोजन कर वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ सेवा प्रकल्पों के संबंध में चर्चा की। कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में शाखाओं का विस्तार करें, इससे राष्ट्रवाद का प्रचार-प्रसार होगा। कार्यक्रम परिवर्तन क्यों किया गया? इस सवाल पर संघ सूत्र बताते हैं कि इसके जरिए सरसंघचालक समानता का संदेश देना चाहते थे। वह यह भाव जाहिर कर गए कि संघ परिवार में सभी स्वयंसेवक समान हैं। तभी तो सह नगर कार्यवाह के घर भोजन के लिए पहुंच गए। उनका यह फैसला संघ के बाकी पदाधिकारियों के लिए भी सीख है। वहां से मोहन भागवत रात्रि में संपर्क क्रांति एक्सप्रेस से दिल्ली के लिए रवाना हो गए।