काठमांडू। नेपाल के PM केपी ओली ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही इस्तीफा दे दिया। माओवादी नेता पुष्प दहल कमल उर्फ प्रचंड नए प्रधानमंत्री बन सकते हैं। संसद में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस और प्रचंड की पार्टी सीपीएन-माओवादी सेंटर ने सत्ता में भागीदारी के लिए सात सूत्री समझौता किया है।
PM केपी ओली ने मन्दान से पहले ही दिया इस्तीफा
दोनों ने बारी-बारी से शेष 18 माह के लिए सरकार चलाने पर सहमति जताई है। आंदोलनरत मधेशी पार्टियों ने भी नई सरकार को बाहर से समर्थन देने की घोषणा की है। प्रचंड इससे पहले देश में राजशाही की समाप्ति और लोकतंत्र की बहाली के बाद अगस्त 2008 में प्रधानमंत्री बने थे।
राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने ओली का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। राष्ट्रपति ने उन्हें नई सरकार बनने तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में काम करने को कहा है। ओली ने पिछले वर्ष प्रधानमंत्री का पद संभाला था। बीते 10 वर्षों में ओली देश की आठवीं सरकार की अगुआई कर रहे थे।
गठबंधन सरकार से माओवादियों ने समर्थन वापस लेने के बाद अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। सत्ताधारी गठबंधन के दो साझीदारों मधेशी पीपुल्स राइट फोरम-डेमोक्रेटिक और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने का फैसला लिया। दोनों के पाला बदलने के बाद ओली ने अपना इस्तीफा सौंप दिया। सहयोगियों ने ओली पर अपना वादा नहीं निभाने का आरोप लगाया है।
अच्छा काम करने की मिली सजा
संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान ओली ने कहा कि नौ महीने पहले जब देश गंभीर संकट में फंसा था तब वह सत्ता में आए थे। सरकार उस समय बदल रही थी जब देश खतरनाक भूकंप के बाद उत्पन्न अवरोधों से उबर रहा था। उन्होंने कहा, “इस समय सरकार बदलने का खेल रहस्यमय है।” 64 वर्षीय सीपीएन-यूएमएल नेता ने कहा कि उन्हें अच्छा काम करने की सजा दी जा रही है।
भारत से रिश्ते में किया सुधार
ओली ने कहा कि जिस समय सरकार की कमान संभाली थी उस समय भारत के साथ नेपाल का रिश्ता नाजुक मोड़ पर पहुंच चुका था। हमारे प्रयास से रिश्ता सामान्य हो पाया है। उन्होंने पिछले सप्ताह काठमांडू में हुई इमीनेंट पीपुल्स ग्रुप की बैठक का भी उल्लेख किया। इस बैठक में भारत और नेपाल के बीच हुए विभिन्न समझौतों और संधियों पर चर्चा हुई। इसमें 1950 में हुई नेपाल-भारत शांति एवं मैत्री संधि भी शामिल थी।