पिछले तीस सालों से पुलिस के लिए सिरदर्द बने डकैत गोपी नाई गैंग के शातिर सदस्य दुर्गा नाई को एसएसपी अखिलेश कुमार की टीम ने गिरफ्तार कर लिया। वह किदवई नगर में हत्या व डकैती के मामले में वांछित था। 25 हजार का इनामी सीताराम मोहाल निवासी दुर्गा फिल्मी स्टाइल में पिछले तीस साल से उरई में किराए के मकान में नाम और हुलिया बदलकर रह रहा था। इसका खुलासा एसएसपी ने मंगलवार को पुलिस लाइन में हुई प्रेसवार्ता में किया।
उन्होंने बताया कि दुर्गा नाई उरई के सुशील नगर में मलखान सिंह के मकान में श्यामबाबू सविता के नाम से रह रहा था। वहां उसने खुद को स्टोव, गैस चूल्हा और कुकर बनाने वाले के रूप स्थापित किया और परिवार को भी रख लिया। जूही में 1985 में हुई नसीम की हत्या में आरोपित दुर्गा ने हाईकोर्ट से जमानत ले रखी थी, लेकिन कोर्ट में पेश नहीं हो रहा था। उस पर रासुका की भी कार्रवाई हुई थी। हाईकोर्ट के संज्ञान में लेने पर पुलिस ने इसकी तलाश शुरू की। रिश्तेदारों व दोस्तों पर नजर रखी गई तब उसका उरई से लिंक पता चला। इसके बाद किदवईनगर इंस्पेक्टर अनुराग मिश्र और पनकी एसओ शेषनारायण पांडेय की टीम को लगाया गया। इन लोगों ने रेकी कर इसका पूरा ब्यौरा जुटाने के बाद मुखबिर की मदद से नौबस्ता बाइपास के पास से उसे गिरफ्तार किया। वह किसी काम से यहां आया था।
नहीं करता था मोबाइल का प्रयोग, रिश्तेदारों से था दूर
पुलिस पता न पा सके, इसके चलते दुर्गा मोबाइल फोन तो छोड़िए, परिजनों तक से संपर्क में नहीं था। परिचितों की मदद से खुद के मरने की अफवाह फैला दी, ताकि कोई उसे खोजने की कोशिश न करे।
केस की फाइल तक हो गई गायब
दुर्गा नाई के शातिरपन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसकी जमानत लेने वालों से लेकर पैरवी करने वालों तक का पुलिस को कोई अता-पता नहीं मिले इसके लिए सारे सबूत मिटा दिए। पुलिस इस केस से जुड़ी फाइल तक कोर्ट में खोज नहीं पाई।
इन मामलों में था वांछित
– 1981 में जूही में अरविंद तिवारी की हत्या।
– जनवरी 1985 में सी ब्लाक किदवईनगर के नरेश नाथ मेहरोत्रा की हत्या।
– जनवरी 1985 में जूही बारादेवी निवासी शंकर दयाल त्रिवेदी का हत्या का प्रयास।
– फरवरी 1985 में जूही लाल कालोनी के नसीम की हत्या।