कर्नाटक में येद्दयुरप्पा के इस्तीफा देने के बाद अब उनकी जगह कुमारस्वामी राज्य के नए मुख्यमंत्री बनेंगे। उन्हें 23 मई को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी। बेहद कम लोग इस बात को जानते हैं कि कुमारस्वामी राजनीति में आने से पहले एक फिल्म निर्माता और फिल्म वितरक थे। हरदनहल्ली देवगौड़ा कुमारस्वामी वर्ष 2006-2007 कर्नाटक के 18 वें मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वहीं उनके पिता एचडी देवगौड़ा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके हैं। अपने समर्थकों के बीच कुमारान्ना के नाम प्रसिद्ध कुमारस्वामी जनता दल (सेक्युलर) के कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष भी हैं।
भाजपा राज्य में सबसे बड़ी पार्टी
दरअसल, कर्नाटक में कुमारस्वामी के चलते ही राज्य में कांग्रेस भाजपा को रोकपाने में सफल हो सकी है। हालांकि विधानसभा चुनाव में भाजपा 104 सीट पाक सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बहुमत के जादूई आंकड़े से वह पीछे रह गई थी। वहीं कांग्रेस को इस बार राज्य में अपनी दुर्गति का सामना करना पड़ा और पिछली बार के मुकाबले वह महज 78 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। इतना ही नहीं राज्य के पूर्व सीएम सिद्धरमैया एक जगह से बुरी तरह से हार भी गए। वहीं जनता दल एस को 37 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इसके बावजूद यहां पर कांग्रेस का कुमारस्वामी पर खेला गया दांव सफल हो गया।
कांग्रेस की रिसॉर्ट नीति
दरअसल, चुनाव परिणाम के बाद ही कांग्रेस ने इस बात का ऐलान किया था कि वह कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए तैयार है। इसके लिए कांग्रेस ने अपने और जद एस के विधायकों को एक रिसॉर्ट में भी रुकवाया था। यहां तक की इन विधायकों से मिलने तक की इजाजत भी किसी को नहीं दी गई थी। बहरहाल, कांग्रेस की इस कवायद के बाद कुमारस्वामी को दूसरी बार राज्य के सीएम का ताज मिलने वाला है। कर्नाटक के राज्यपाल वेजुभाई वाला ने कुमारस्वामी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है। हालांकि इन सभी के बीच यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि ये सरकार कितने दिन चल पाएगी। आइये एक नजर डालते हैं कुमारस्वामी के राजनीतिक जीवन पर:-
कर्नाटक के मौजूदा किंग यानि कुमारस्वामी की जन्म 16 दिसंबर 1959 को हुआ था और उनकी पहली शादी 1986 में अनीता से हुई थी। अनीता कुमारस्वामी से एचडी कुमारस्वामी को एक बेटा है जिसका नाम निखिल गौड़ा है। इसके बाद उन्होंने कन्नड़ अभिनेत्री राधिका से दूसरी शादी की। राधिका से कुमारस्वामी को एक बेटी है।
पिता से बगावत
आपको बता दें कि वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव के बाद जेडीएस और कांग्रेस ने मिलकर कर्नाटक में सरकार बनाई थी। लेकिन 2006 में कुमारस्वामी पार्टी तोड़ दी और राज्य की सत्ता पाने के लिए भाजपा का हाथ थामा लिया था। हालांकि उस वक्त एचडी देवगौड़ा इसके सख्त खिलाफ थे। भाजपा और कुमारस्वामी के बीच में उस वक्त यह तय हुआ था कि दोनों पार्टी के मुख्यमंत्री आधे-आधे समय तक रहेंगे। लेकिन वर्ष 2007 में कुमारस्वामी अपने वादे से मुकर गए थे। इसके बाद भाजपा ने सरकार गिरा दी थी। इसके बाद राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत हासिल हुई और वह सत्ता में आई थी। हालिया विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद कुमारस्वामी ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि साल 2006 में भाजपा के साथ जाने के फैसले के बाद उनके पिता के करियर पर काला धब्बा लग गया था। लिहाजा इस बार ऐसी कोई गलती नहीं होगी। इस बार वह कांग्रेस का साथ देंगे।
कुमारस्वामी का राजनीतिक सफ़र
1996 में कुमारस्वामी ने पहली बार राजनीति में कदम रखा था। वह सबसे पहली बार 11वीं लोकसभा के लिए कनकपुरा से चुने गए थे। अब तक वे नौ बार चुनाव लड़ चुके हैं जिसमें से छह बार उन्हें जीत मिली है। हालिया विधानसभा चुनाव में कुमारस्वामी चन्नापट्टना और रामानगरम विधानसभा सीटों से मैदान में उतरे थे। इन दोनों ही सीटों से उन्हें जीत हासिल हुई है।
जनता दल एस का उदय
1999 में जनता पार्टी से अलग होकर एचडी देवेगौड़ा जनता दल सेक्युलर की नींव रखी थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व सीएम सिद्धरमैया भी कभी जनता दल एस का ही हिस्सा हुआ करते थे। यहां तक की वे एचडी देवगौड़ा के विश्वासपात्र और करीबी नेताओं में शुमार थे। लेकिन जब पार्टी की कमान सौंपने की बात आई तो देवगौड़ा ने इसके लिए अपने बेटे को चुना था। इसी बात से नाराज होकर सिद्धरमैया ने कांग्रेस की राह पकड़ी थी। यूं भी 1977 में कांग्रेस के खिलाफ जाकर ही जनता पार्टी का भी गठन हुआ था। 1996 में 10 महीने के लिए जब देवेगौड़ा भारत के प्रधानमंत्री बने तो उस सरकार को कांग्रेस का समर्थन भी प्राप्त था। आपको बता दें कि देवेगौड़ा वोक्कालिगा समुदाय और येद्दयुरप्पा लिंगायत समुदाय से संबंध रखते हैं। इन दोनों समुदायों की कर्नाटक की राजनीति में काफी अहमियत है।