कर्नाटक में त्रिशंकु चुनावी नतीजों के बाद अब सियासी नज़रें राजभवन पर टिकी हुई हैं, राज्यपाल द्वारा पहले किसे कर्नाटक में सरकार बनाने की दावेदारी के लिए न्योता दिया जाएगा, इस बात पर सियासत का पारा चढ़ चुका है. बंगलुरु में मौजूद वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने चेतावनी दते हुए कहा है कि अगर राज्यपाल ने कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन को पहला मौका नहीं दिया तो खून-खराबा हो जाएगा.
कांग्रेस नेता ने कहा है कि भाजपा, कांग्रेस के विधायकों को धमका रही है, उन पर भाजपा को समर्थन देने का दबाव बनाया जा रहा है. आज़ाद ने कहा है कि बीजेपी को लोकतंत्र पर भरोसा नहीं है, इसलिए वो कर्नाटक में सियासी तख़्त पाने के लिए असंवैधानिक कदम उठा रही है. उन्होंने आगे कहा कि अगर राज्यपाल ने संवैधानिक मूल्यों का पालन नहीं किया और हमें सरकार बनाने के लिए निमंत्रित नहीं किया, तो यहां खूनी संघर्ष होगा. आजाद ने कहा कि राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है. बीजेपी के पास 104 सीटें हैं, हमारे (कांग्रेस-जेडीएस) पास 117 सीटें हैं. राज्यपाल पक्षपाती नहीं हो सकते हैं.
उन्होंने कहा कि राज्यपाल पर संविधान को बनाए रखने कि जिम्मेदारी होती है, जब कोई राज्यपाल के पद पर बैठता है, तो उसे अपने सारे पुराने सम्बन्ध नष्ट कर देने होते हैं. इस बीच कांग्रेस के विधायक अमरेगौड़ा ने भी बीजेपी पर पद का प्रलोभन देने का आरोप लगाया है. अमरेगौड़ा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें भी कैबिनेट मंत्री का पद देने का प्रलोभन दिया था, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया, क्योंकि वो कांग्रेस के साथ हैं और कांग्रेस से संतुष्ट हैं.