पुरुष जो सुर्खियां बने, औरतें जो आंकड़े बनकर रह गईं

जी हाँ हैडिंग देख कर चौंकिए नही यह बिलकुल सच है, आप इस खबर को पढने के बाद १००% संतुस्ट नज़र आयेंगे की महज एक घटना के बाद कई पुरुष सुर्खियां बन कर रह गये और तमाम औरतें महज आंकड़े|

पुरुष जो सुर्खियां बने, औरतें जो आंकड़े बनकर रह गईं

ये पोस्ट हिमांशी शर्मा ने अपने फेसबुक पर अंग्रेजी में लगाई थी. हम उसे ट्रांसलेट कर आपको पढ़ा रहे हैं. हिमांशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एमए किया है. और सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर अक्सर छोटी-छोटी टिप्पणियां लिखती रहती हैं.

कुछ दिनों से अखबार में आई एक खबर मुझे परेशान कर रही है.

“छोटे कद की वजह से ‘इन्फीरियॉरिटी कॉम्प्लेक्स’ से जूझ रहा एक आदमी दिल्ली और आस-पास के इलाकों में तकरीबन 1500 लड़कियों को मैसेज, वीडियो और फ़ोन कॉल के जरिए परेशान कर रहा था. उसके फ़ोन से 2100 लड़कियों के कॉन्टैक्ट बरामद हुए. उसके भेजे गए वॉट्सऐप और SMS बताते हैं कि अप्रैल से लेकर जुलाई तक उसने लगभग 1500 औरतों को परेशान किया है.”

-द हिंदू, 7 जुलाई

शॉर्ट में कहिए तो 1500 औरतों को हैरेस करने के मामले में एक आदमी को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस रिपोर्ट्स के मुताबिक उसे छोटा कद होने के कारण ‘इन्फ़ीरिऑरिटी कॉम्प्लेक्स’ था. यानी हीन भावना का शिकार था. जिसकी वजह से औरतें उससे आकर्षित नहीं होती थीं. पुलिस को आदमी के फ़ोन में 2 हजार से भी ज्यादा लड़कियों के नंबर मिले. जिनको उसने खुद तय किए हुए खूबसूरती और उम्र के पैमानों पर बांटा हुआ था. और A, AA, A++ तरह के नामों से उनकी प्रोफाइल पिक्चर सेव कर रखी थी.

मैं चाहती हूं, आप सोचें. डेढ़ हजार या 2 हजार की संख्या के बारे में नहीं. लेकिन उन औरतों के बारे में. मुझे पता है, इस तरह की कोई भी खबर पढ़ते ही हमारा इंस्टिंक्ट सबसे पहले हमें बड़ी सी संख्या देखने पर मजबूर करता है. संख्याएं ख़बरों के लिहाज से पढ़ने वालों को एक अजीब-सी ताजगी से भर देती है. मैं चाहती हूं आप सोचें कि ये आंकड़ा किस तरह उन औरतों का डर, परेशानी, चिड़चिड़ापन और बेचैनी को बयां करने में नाकाम रहता है. उनकी मानसिक अवस्था को बयां करने में नाकाम रहता है, जिससे जूझते हुए उन्होंने ये सब किया होगा: बीमारियां, मानसिक तनाव, किसी करीबी की मौत और न जाने क्या-क्या. पुलिस ने 1500 में से लगभग 500 नंबरों पर फ़ोन किया. और पाया कि जब-जब उन औरतों ने अपराधी को घर वालों से धमकी दिलवाने की कोशिश की, उसने यह बताया कि वो लड़की का पुराना प्रेमी है. जिसकी वजह से कई परिवार टूटने के कगार पर पहुंच गए. कई पति-पत्नियों के रिश्तों में दरार पड़ी.

ये आंकड़ा हमें नहीं बताता कि सताई जाने वाली औरतें किस दौर से गुजरीं. वो मात्र इस आंकड़े का हिस्सा बनकर रह जाती हैं. वो आंकड़ा, जो परोक्ष रूप से अपराधी को औरतों को हैरेस करने का ‘रिकॉर्ड’ बनाने जैसी ‘उपलब्धि’ दिलाता है. हम इस आंकड़े को पढ़ते हैं तो सिर्फ यही सोचते हैं कि आज तक किसी और ने इतनी सारी औरतों को हैरेस नहीं किया. लेकिन मैं चाहती हूं कि आप याद रखें कि 1500 औरतें 1500 अलग कपड़े पहनती थीं, उनके 1500 दिमाग अलग-अलग थे. और वो 1500 अलग-अलग तरीकों से परेशान हुई थीं.

मैं ये भी चाहती हूं कि इस कथित अपराधी से आप सिम्पथी दिखाएं. सिर्फ इसलिए कि छोटे कद की वजह से उसे लो-कॉन्फिडेंस की समस्या थी. मुझे इस बात पर कोई शक नहीं है कि उसने अपने हिस्से का अपमान सहा होगा. लोगों ने उसे प्रताड़ित किया होगा, मजाक उड़ाया होगा. ठीक उसी तरह जैसे हर उस इंसान के साथ होता है, जो आम सोच के मुताबिक ‘ठीक’ नहीं दिखता. लेकिन उसी समय ये भी याद रखें कि ये आदमी, जो खुद प्रताड़ित हुआ, दूसरों को प्रताड़ित करने में कोई कसर छोड़ता. इस पुरुष के लिए औरतें केवल वो वॉट्सऐप के नंबर थीं, जिनके ऊपर वो अपना गुस्सा निकाल सकता था. वो गुस्सा, जो दुनिया के प्रति था.

मैं आपको ये भी याद दिलाना चाहती हूं कि उन 1500 में से सिर्फ 5 औरतों ने उस आदमी के खिलाफ FIR लॉज की थी. सोचिए, दुनिया में औरत को हैरेस करने के अलावा क्या कोई ऐसा अपराध है जो कोई आदमी 1500 बार करे और उसके खिलाफ केवल 5 FIR हों. कोई जवाब नहीं होगा आपके पास. इस बात को आप तब याद करें, जब अगली बार आप कहें कि रेप के आधे से ज्यादा इल्जाम फर्जी होते हैं. अगर आप यौन शोषण को एक छोटी समस्या समझते हैं, तो शायद आप भी इसी समस्या का हिस्सा हैं.

साभार : द लल्लनटॉप.कॉम 

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