मुंबई/बेंगलुरू,एजेंसी। घरेलू आईटी सेक्टर में साल दर साल नौकरियां घटती जा रही हैं। मौजूदा दौर में हर साल करीब 2.5 लाख नौकरियों पर करीब 15 लाख इंजीनियर अपनी-अपनी दावेदारी दिखा रहे हैं। अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिहाज से यह स्थिति चिंता की बात हो सकती है, लेकिन टीसीएस, इन्फोसिस और विप्रो जैसी इस क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों को फायदा हो रहा है।
देश में आईटी इंडस्ट्री का बिजनेस तकरीबन 160 अरब डॉलर का है। एक दौर था जब इस सेक्टर में हर साल बड़ी तादाद में नौकरियां निकलती थीं, लेकिन अब रोजगार के मामले में यह सेक्टर सिमटता जा रहा है। इन्फोसिस और टीसीएस जैसी कंपनियों के लिए यह अच्छी बात साबित हो रही है। हर गुजरते साल के साथ इनके कैंपस ऑफर स्वीकारे जाने का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है। छात्रों को विकल्पों की कमी इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स अब किसी भी खाली पद को स्वीकारने में ज्यादा सोच-विचार नहीं कर रहे हैं।
इन्फोसिस, टीसीएस और विप्रो के अांकड़ों से यह साफ जाहिर हो रहा है। मसलन, विप्रो के जॉब ऑफर्स स्वीकार ने वालों का अांकड़ा तीन साल पहले 65 फीसदी था जो अब बढ़कर 85 फीसदी हो गया है। विश्लेषकों के मुताबिक वित्त वर्ष 2012 के दौरान पूरी आईटी इंडस्ट्री के लिए यह औसत 65-70 फीसदी था, जो अब बढ़कर 80-85 फीसदी हो गया है। इन्फोसिस की नजीर आईटी सेक्टर में नौकरियां कम और दावेदार ज्यादा हो गए हैं। इन्फोसिस इसकी अच्छी बानगी है।
2013 के दौरान इस कंपनी में नौकरियों के लिए 3.79 लाख आवेदन आए थे, जो अब बढ़कर 11.8 लाख हो गए हैं। कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल 2-2.5 लाख नौकरियां पैदा होती हैं, जबकि हर साल तैयार होने वाले ग्रेजुएट्स की संख्या 15 लाख है।