नई दिल्लीः केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सात साल से हो रहे 11,400 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले को नहीं पकड़ पाने को लेकर नियामकों की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने इस मामले में अपनी सरकार की जवाबदेही से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि देश के नियामक नेताओं की तरह जवाबदेह नहीं हैं. सप्ताह भर के भीतर में इस महाघोटाले पर दूसरी बार बोलते हुए जेटली ने कहा कि घोटालेबाजों के साथ कर्मचारियों की सांठगाठ परेशान करने वाली बात है. न तो किसी नियामक और न ही किसी और ने इस पर कोई आपत्ति नहीं की, यह भी परेशान करने वाली बात है.
उन्होंने कहा कि नियामकों को धोखाधड़ी की पहचान एवं इन्हें रोकने के लिए तीसरी आंख खुली रखनी चाहिए. ईटी ग्लोबल बिजनेस समिट में उन्होंने कहा कि उद्यमियों को नैतिक कारोबार की आदत डालने की जरूरत है क्योंकि इस तरह के घोटाले अर्थव्यवस्था पर धब्बा हैं और ये सुधारों एवं कारोबार सुगमता को पीछे धकेल देते हैं. उन्होंने कहा कि कर्जदाता-कर्जदार के संबंधों में अनैतिक व्यवहार का खत्म होना जरूरी है. उन्होंने कहा, ‘‘यदि जरूरत पड़ी तो संलिप्त व्यक्तियों को सजा देने के लिए नियमों को सख्त किया जाएगा.’’ वित्त मंत्री ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर पाने को लेकर बैंक प्रबंधन की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि बैंक में क्या चल रहा है. इससे शीर्ष प्रबंधन की अनभिज्ञता और अपर्याप्त निगरानी चिंताजनक है.
राजनीति गर्माई
जेटली के इस बयान पर राजनीति गर्मा गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार क्यों केवल नियामकों पर आरोप लगा रही है. राजनीति व्यवस्था का क्यो होगा. वित्त मंत्री को इस बारे में निश्चित तौर पर बोलना चाहिए. इन बैंकों में सरकार की ओर मनोनीत लोग क्या कर रहे हैं. मामले की जांच करने की जरूरत है. यह लोगों को बहकाना है कि इस घोटाले के लिए नियामक जिम्मेवार हैं.
इससे पहले जेटली ने यह भी कहा कि जानबूझकर लोन की रकम न चुकाना केवल बैंक धोखाधड़ी या व्यापार की विफलता भर नहीं है. इससे सरकार की कारोबार को सुलभ बनाने की तमाम कोशिशें बेकार हो जाती है. गौरतलब है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसी सप्हात ही इस मसले पर संकेत दिया था कि इस मामले में बैंक प्रबंधन और आडिटर्स भी घेरे में हैं और उन पर भी गाज गिर सकती है. वहीं नीरव मोदी जैसे घपलेबाजों को चेताया कि आखिरी मोड़ तक पीछा कर सरकार उन्हें दबोच लेगी.