मिर्जापुर के लालगंज स्थित अतरैला टोल प्लाजा पर एसटीएफ ने छापा मारकर चार कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। ये सभी कर्मचारी टैक्स वसूलने में फर्जीवाड़ा करते थे।
स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीफ) की लखनऊ इकाई ने टोल प्लाजा से टैक्स वसूलने में 120 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश कर मिर्जापुर के लालगंज स्थित अतरैला टोल प्लाजा से चार कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। बता दें कि जिस सॉफ्टवेयर के माध्यम से घोटाला किया गया, उसका इस्तेमाल देश के 42 टोल प्लाजा पर हो रहा है। यूपी के बरेली, गोरखपुर और असम, राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में भी इसी साफ्टवेयर के जरिये गड़बड़ी की जा रही है। फिलहाल एसटीएफ मामले की जांच कर रही है। मामले में टोल प्रबंधन और अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है।
जौनपुर के आलोक ने बनाया सॉफ्टवेयर
टोल टैक्स घोटाले का मुख्य आरोपी आलोक सिंह को बताया गया है, जो जौनपुर का रहने वाला है। एएसपी आपरेशन ओपी सिंह ने बताया कि एसटीएफ ने अपनी तहरीर में आलोक सिंह को सॉफ्टवेयर का निर्माता बताया है। दो साल से इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है। आलोक को गिरफ्तार किया गया है। वह लंबे समय से वाराणसी में रहकर गड़बड़ी कर रहा था। एसटीएफ की पूछताछ से पता चला है कि फर्जीवाड़े की जानकारी एनएचएआई के अफसरों को भी थी, लेकिन वे कुछ नहीं कर रहे थे। एक-एक अफसर की भूमिका की जांच भी की जा रही है।
पांच मोबाइल, दो लैपटॉप, एक प्रिंटर और 19580 रुपये बरामद
एसटीएफ के निरीक्षक दीपक सिंह ने बताया कि बाबतपुर एयरपोर्ट के पास से साफ्टवेयर तैयार करने वाले आलोक सिंह को पकड़ा गया। आलोक ने बताया कि वह दो साल से यह कार्य कर रहा है। उसका साफ्टवेयर उत्तर प्रदेश सहित देश के 42 टोल प्लाजा पर काम कर रहा है। बताया कि साफ्टवेयर लगा निकटतम टोल प्लाजा अतरैली शिव गुलाम टोल प्लाजा है। वहां दिखा सकता है कि यह कैसे कार्य करता है। लालगंज पुलिस को सूचना देकर एसटीएफ ने 500 मीटर पहले गाड़ी खड़ी करके बिना फास्टैग वाले वाहन को भेजकर साफ्टवेयर का इस्तेमाल होते देखा। इसके बाद एसटीएफ ने टोल प्लाजा से दो कर्मचारियों मनीष मिश्रा और राजीव कुमार उर्फ राजू को पकड़ा।
इन स्थानों के टोल प्लाजा पर चल रहा साफ्टवेयर
हर्रो टोल प्लाजा प्रयागराज, अम्दी टोल प्लाजा लोहरा आमगढ़, बागपत, बरेली, गोरखपुर, सौनौली, शामली, अतरैली शिव गुलाम टोल प्लाजा मिर्जापुर, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, झारखडं, पंजाब, गुजरात, असम, पश्चिम बंगाल, उड़िता, हिमांचल, छत्तीशगढ़, जम्मू कश्मीर में साफ्टवेयर काम कर रहा था। साफ्टवेयर को मोबाइल फोन, लैपटाप, पेन ड्राइव, डिवाइस के द्वारा इंस्टाल करते हैं।
आलोक ने बताया कि रिद्धि-सिद्धी कंपनी के साथ वह पहले सावंत और सुखांत के साथ यह काम कर रहा था। बताया कि उसने एमसीए किया है। साफ्टवेयर बनाने की अच्छी जानकारी है। उसने एएनवाई नामक साफ्टवेयर तैयार किया है। यह फोन और लैपटाप में है। इसमें टोल संबंधी सारी जानकारी है। बताया कि पूर्व में टोल पर कार्य करने के दौरान कंपनियों के संपर्क में आया था।
एक टोल से एक दिन में 50 हजार तक की कमाई
आरोपी आलोक ने बताया कि एक टोल से एक दिन में साफ्टवेयर के डाटाबेस के अनुसार 40 से 50 हजार रुपये की अवैध रूप से कमाई होती है। दो साल में ऑफलाइन और आनलाइन 120 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है।
बिना फास्टैग वाले वाहन को देते थे नकली रसीद
टोल प्लाजा के कांट्रेक्टर को साफ्टवेयर से लाभ के मामले में आलोक ने बताया कि देश के सभी टोल प्लाजा पर फास्टैग अनिवार्य कर दिया गया है। जो वाहन बिना फास्टैग गुजरते हैं तो शुल्क और पेनाल्टी वसूला जाता है। इसके लिए टोल के किसी लेन पर इस साफ्टवेयर को इंस्टाल करा दिया जाता है। जो भी गाड़ी बिना फास्टैग के जाती है, उसको पास कराकर फर्जी रसीद काटकर दोगुना पैसा वसूल लेते हैं। यह पैसा कंपनी, ठेकेदार व टोल प्लाजा के कर्मचारियों में बंट जाता है।
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