एक ओर जहां तमिलनाडु में बस कर्मचारी वेतन वृद्धि की मांग को लेकर लगभग एक हफ्ते से हड़ताल पर हैं, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री ई पलनिसामी ने विधानसभा में विधायकों के वेतन बढ़ाने संबंधी विधेयक पेश किया है। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक सीएम ने कर्मचारियों की मांग को देखते हुए 750 करोड़ रुपये बकाया देने की मांग को स्वीकार कर लिया है।
ई पलनिसामी ने विधानसभा में विधायकों के वेतन को 55 हजार से बढ़ाकर 1.05 लाख करने के लिए विधेयक पेश किया। विधेयक में विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास निधि भी 2 करोड़ से बढ़ाकर 2.5 करोड़ करने का प्रावधान है। यही नहीं, विधायकों की मासिक पेंशन भी 20 हजार रुपये तक बढ़ा दी गई है।
इस विधेयक का विपक्षी पार्टी डीएमके ने विरोध किया है। डीएमके नेता एमके स्टालिन ने कहा कि ऐसे समय में, जब बस कर्मचारी अपनी मांग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं, विधायकों का वेतन बढ़ाने से लोग उन पर हंसेगे। वहीं, एआईएडीएमके से अलग हो चुके टीटीवी दिनकरन ने भी विधेयक का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पहले ही नुकसान उठा रही है, ऐसे में वेतन नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। गौरतलब है कि सीएम ने जुलाई 2017 में ही इस विधेयक को लाने का ऐलान कर दिया था।
सरकार इस विधेयक को लाने के साथ ही निशाने पर रही है। जिस वक्त इसकी घोषणा सीएम ने की थी, उस वक्त तमिलनाडु के किसान देश की राजधानी दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे थे। वहीं, अब यह बिल ऐसे समय में पेश होने जा रहा है, जब राज्य की ट्रांसपोर्ट यूनियन के कर्मचारी अपना वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं।
हालांकि, सूत्रों के मुताबिक परिवहन कर्मियों की मांग के आगे मुख्यमंत्री पलनिसामी ने घुटने टेक दिए हैं। उन्होंने हड़ताल पर गए कर्मियों को 750 करोड़ रुपये देने का वादा कर दिया है। इससे पहले बुधवार को भी कोयंबटूर में कर्मी अपना वेतन बढ़ाने को लेकर हड़ताल करते रहे। मुख्यमंत्री ने उनसे हड़ताल वापस लेने की अपील भी की जिसके अब कर्मियों की मांगों को मान लिया गया है।
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