मोदी सरकार के शुरुआती वर्षों में ही कारोबार सुगमता का असर दिखना शुरू हो गया था। इस बात की पुष्टि बुधवार को जारी आयकर विभाग की एक रिपोर्ट से भी होती है। असेसमेंट वर्ष 2015-16 के लिए तैयार इस रिपोर्ट में बताया गया है कि उस अवधि में एक करोड़ रुपये या उससे ऊपर की आमदनी के रिटर्न भरने वाले करदाताओं की संख्या 59,830 रही, जो उससे एक साल पहले के मुकाबले 23.5 फीसदी ज्यादा है।
‘इनकम टैक्स रिटर्न स्टैटिस्टिक्स असेसमेंट ईयर 2015-16’ शीर्षक से तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि असेसमेंट वर्ष 2014-15 के दौरान एक करोड़ रुपये या इससे ज्यादा कमाने वालों की संख्या 48,417 थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भले ही करोड़पतियों की संख्या बढ़ी हो, लेकिन उनकी कुल आमदनी में गिरावट आई है। वर्ष 2015-16 में एक करोड़ रुपये से ज्यादा आमदनी वाले 59,830 व्यक्तियों की कुल आय 1.54 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि इसके पिछले वर्ष करोड़पतियों की संख्या सिर्फ 48,417 थी, लेकिन उनकी कुल आमदनी 2.05 लाख करोड़ रुपये रही थी।
रिपोर्ट के मुताबिक असेसमेंट वर्ष 2015-16 के दौरान देश की कुल 1.2 अरब आबादी में से महज 4.07 करोड़ आयकर रिटर्न ही फाइल किए गए, जिनमें से लगभग 82 लाख लोगों ने शून्य या साल में ढाई लाख रुपये से कम की आमदनी घोषित की। आयकर की मौजूदा दरों के हिसाब से ढाई लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगता है। असेसमेंट वर्ष 2014-15 में कुल 3.65 करोड़ रिटर्न दाखिल हुए थे, जिनमें से 1.37 करोड़ लोगों ने अपनी आमदनी ढाई लाख रुपये से कम घोषित की थी।
कर वसूली की लागत सबसे कम
आयकर विभाग का कहना है कि कर से कमाई बढ़ी है, तो कर वसूली की लागत भी बढ़ी है। हालांकि यह लागत अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है। कर वसूली की लागत बढ़ने की वजह अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन-भत्तो में बढ़ोतरी है। वित्त वर्ष 2013-14 में जहां 100 रुपये की कर वसूली की लागत 57 पैसे थी, वह 2014-15 में बढ़कर 59 पैसे, 2015-16 में 61 पैसे और 2016-17 में बढ़कर 66 पैसे हो गई है।
500 करोड़ रुपये से ज्यादा आमदनी वाला सिर्फ एक
आकलन वर्ष 2015-16 के दौरान देशभर में सिर्फ एक व्यक्ति की आय 500 करोड़ रुपये से ज्यादा रही और वह आंकड़ा 721 करोड़ रुपये का था। इससे पिछले वर्ष ऐसे व्यक्तियों की संख्या सात थी और उनकी कुल आय 85,183 करोड़ रुपये थी। वर्ष 2015-16 में 100 से 500 करोड़ रुपये वार्षिक आय वाले व्यक्तियों की संख्या 31 रही। इन सब की कुल आमदनी 4,175 करोड़ रुपये थी। जबकि इससे एक साल पूर्व के आकलन वर्ष में यह संख्या 17 थी, जिनकी कुल आमदनी 2,761 करोड़ रुपये रही थी।