पिछले दो सालों से जो टेक्नोलॉजी सबसे ज्यादा चर्चा में रही है वो है 5G यानि की पांचवी जेनरेशन की टेलिकॉम टेक्नोलॉजी। 5G को इस साल चुनिंदा देशों में व्यावसायिक तौर पर रोल आउट किया जा चुका है। भारत में भी इस पांचवी जेनरेशन की मोबाइल टेक्नोलॉजी को लाने के लिए टेलिकॉम कंपनियां और सरकार जोर लगा रहे हैं। इस टेक्नोलॉजी को भारत में लाने के लिए एक बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है। इसके लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है। इस कड़ी में गुरुवार को केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत में सभी लोगों को 5G सर्विस मुहैया कराने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है।
संसद में चल रहे शीतकालीन सत्र में प्रश्न काल के दौरान केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि अभी तक 5G की वजह से सुरक्षा के खतरे का कोई मामला सामने नहीं आया है। उन्होंने आगे कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल दूरसंचार (IMT) के 2020 के मानकों में 5G को भी मान्यता दी गई है। आपको बता दें कि पिछले दिनों एक कंपनी ने 5G टेक्नोलॉजी के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरणों में सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी। कंपनी ने कहा था कि इस वजह से कुछ देशों में इस कंपनी को प्रतिबंधित भी कर दिया गया है।
केन्द्रीय मंत्री संसद में इसी सवाल का जबाब देते हुए कहा कि भारतीय बाजार की अपनी परिस्थितियां है, जिनके मुताबिक, भारत अपनी सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कोई भी तकनीक अपना सकता है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की कोई भी फैसला लेने से पहले 5G स्पेक्ट्रम के आवंटन करते समय इन सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा। रविशंकर प्रसाद ने आगे ये भी कहा कि 2017 में 5G के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने अगस्त 2018 में अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। सरकार इसी रिपोर्ट के आधार पर किफायती, सुरक्षित और प्रभावी 5G सर्विस के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में लगी है।