हिंदू धर्म के अनुसार वर्ष के एक पक्ष को पितृपक्ष का नाम दिया गया है . जिस पक्ष में हम अपने पितृ देवो का श्राद्ध, तर्पण तथा उनकी मुक्ति हेतु उन्हें अर्ध्य समर्पित करते हैं . दरअसल श्राद्ध हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा से आश्विन माह की अमावस्या तक 15 दिन श्राद्ध किए जाते हैं .
आपको बता दें कि इस बार 5 सितंबर से लेकर 19 सितंबर तक श्राद्ध किये जायेंगे . शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि पितृ अत्यंत दयालु तथा कृपालु होते हैं . वह अपने पुत्र-पौत्रों से पिण्डदान व तर्पण की आकांक्षा रखते हैं . श्राद्ध तर्पण से पितरो को बहुत प्रसन्नता एवं संतुष्टि मिलती है .
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माना जाता है कि पितृगण प्रसन्न होकर दीर्घ आयु, संतान सुख, धन-धान्य, राजसुख, यश-कीर्ति एवं मोक्ष तक प्रदान करते हैं . इसके विपरीत जब पितृ हमसे नाराज हो जाते है तो हमे अनेक प्रकार का दुःख क्लेश और संकटों का सामना करना पड़ता है . इसे पितृदोष के नाम से भी जाना जाता है . आइये इस विडियो द्वरा जानते है कि पित्र्दोश से मुक्ति के लिए क्या करना चाहिए .
पूरी जानकारी के लिए देखे ये विडियो :-
कहा जाता है कि श्राद्ध में तर्पण करने का विशेष महत्व है इसे करने से पितृ देव प्रसन्न होते है और अपनों पर वे अपनी कृपा और आशीर्वाद बनाये रखते है . दरअसल तर्पण के समय जल, फूल, चावल और काले तिल को विशेष माना जाता है . पूजा में इनका होना आवश्यक होता है .
आपको बता दें कि ब्राह्मण द्वारा संकल्प लेकर ही आपको तर्पण करना चाहिए उसके पश्चात पितरो का पसंदीदा भोजन पूरी श्रद्धा और साफ सुथरे तरीके से तैयार किया जाना चाहिए और उसमे से एक हिस्सा गाय का और दूसरा कौए का अलग निकाल कर ब्राह्मण को भोजन करने के बाद ही भोजन को स्वयं ग्रहण किया जाना चाहिए . अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दी गयी विडियो देख सकते है.
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