ये तो सिर्फ ट्रेलर था…पिक्चर अभी बाकी है। ये डायलॉग तो आपने सुना ही होगा, ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रेलर फिल्म की एक छोटी झलक दर्शकों को दिखा देता है। इससे एक तो फिल्म को लेकर एक्साइटमेंट बनी रहती है और दूसरा ट्रेलर से अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि फिल्म कैसी होगी।
हालांकि भारत में फिल्में बनने की शुरुआत 1913 में राजा हरिशचंद्र से हुई जिसे दादासाहेब फाल्के ने बनाया था, यह मूक फिल्म थी। इसके बाद धीरे-धीरे भारतीय सिनेमा का विकास हुआ और नई-नई चीजें इजाद होती गई। ब्लैक व्हाईट से कलर फिल्में, मूक से आवाज वाली फिल्में और भी बहुत कुछ। लेकिन उस वक्त किसी फिल्म का ट्रेलर नहीं बनाया जाता था। ट्रेलर की शुरुआत भारतीय सिनेमा में कई सालों बाद हुई।
इस फिल्म से हुई ट्रेलर बनने की शुरुआत
बॉलीवुड फिल्मों में ट्रेलर की शुरुआत 1981 में रिलीज हुई फिल्म नसीब से हुई। मेकर्स ने फिल्म की मार्केटिंग करने के लिए इसका ट्रेलर बनाया और फिल्म रिलीज होने से पहले इसे दूरदर्शन पर दिखाया था। ऐसा करने से फिल्म के लिए दर्शकों की एक्साइटमेंट भी बढ़ी और फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कलेक्शन भी किया।
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