कांग्रेस के एक महासचिव ने इंडिया टुडे से खास बातचीत में कहा है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो राहुल गांधी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे.
इस व्यक्ति ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा है, ‘राहुल गांधी को जितना मैं जानता हूं, उस बिना पर कह सकता हूं कि वे सरकार की जिम्मेदारी संभालने से हिचकेंगे. और तब यही शख्स राहुल का मनमोहन सिंह होगा’.
इस महासचिव ने ये भी कहा कि राहुल गांधी की जगह टेलीकॉम उद्यमी सैम पित्रोदा प्रधानमंत्री हो सकते हैं. गौरतलब है कि सैम इन दिनों गुजरात में कांग्रेस पार्टी का प्रचार कर रहे हैं. राज्य में दिसंबर में मतदान है.
पार्टी महासचिव का यह बयान बेशक अटकल है, पर सियासी आवाज के तौर पर पित्रोदा के उभार को अनदेखा नहीं किया जा सकता. उन्हें पहले ही कुर्ता और जानी-पहचानी गांधी टोपी में देखा गया है. वे ऐसे भाषण दे रहे हैं, जो चुनावी माहौल में दबे-छिपे इशारों से भरे हैं. एक नमूना देखिए_ ”अगर आप लोकतंत्र की बात करें, तो आपको सामूहिक अगुआई की जरूरत होती है. आप ऐसा नहीं कर सकते कि कोई एक आदमी तमाम फैसले ले. वह भगवान ही क्यों न हो, यहां तक कि वह भी इतना काबिल नहीं’.
बता दें कि सियासत में ये पित्रोदा की दूसरी पारी है. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के करीबी सलाहकार पित्रोदा को अक्सर हिंदुस्तान की दूरसंचार क्रांति का श्रेय दिया जाता है. वे ओडिशा के तीतलागढ़ के एक गुजराती परिवार में जन्मे. उनका मूल नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है. वे भारत के राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के प्रमुख रहे हैं और उन्होंने जन सूचना, बुनियादी ढांचा और नवाचार पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सलाहकार की जिम्मेदारी निभाई है. इसी साल उन्होंने ओडिशा सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी सलाहकार का पद छोड़ा है.
नेहरू-गांधी परिवार के साथ उनका जुड़ाव सालों से जस का तस कायम है. राहुल हालांकि उनसे तकरीबन तीन दशक छोटे हैं, पर उन्हें उनके पहले नाम से पुकारते हैं. कहा जाता है कि साल 1984 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पित्रोदा को भारत आने का न्योता दिया था.
भारत लौटने के बाद उन्होंने सी-डॉट यानि ‘सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ टेलिमैटिक्स’ की स्थापना की. उसके बाद वे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सलाहकार की हैसियत से घरेलू और विदेशी दूरसंचार नीति को दिशा देने का काम करते रहे.