आप ने अयोग्य करार दिए गए अपने 20 विधायकों से कहा है कि वे कानूनी लड़ाई तो लड़ें हीं, लेकिन साथ ही उप चुनावों के लिए भी तैयार रहें. आप के आंतरिक सूत्रों ने बताया कि संभव कानूनी राह अपनाने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी. पार्टी ने विधायकों को किसी भी संभावना के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है. शुक्रवार को निर्वाचन आयोग द्वारा विधायकों को आयोग्य करार देने की सिफारिश करने की खबरें आने के बाद वे राहत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे थे. मामले पर अब सोमवार को सुनवाई होगी.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने ‘लाभ का पद’ रखने को लेकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है. इस फैसले से पार्टी को बड़ा झटका लगा है. पार्टी ने कहा कि यह दर्शाता है कि संवैधानिक पदों पर बैठे अधिकारी ‘केंद्र सरकार की कठपुतली की तरह’ व्यवहार कर रहे हैं. कोविंद ने निर्वाचन आयोग द्वारा की गई सिफारिश को मंजूर कर लिया.

केजरीवाल का हमला

इस कदम पर प्रतिक्रिया जताते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘भगवान ने जब हमें 67 सीटें दीं, तो कुछ कारण रहा होगा। भगवान हमेशा हमारे साथ रहे अन्यथा हम कुछ नहीं होते… सच्चाई के रास्ते से नहीं भटके.’ नजफगढ़ में एक सभा में उन्होंने कहा, ‘वे हर तरीके से हमें परेशान करने का प्रयास कर रहे हैं… उन्होंने मेरे कार्यालय पर सीबीआई से छापेमारी करवाई लेकिन 24 घंटे तक छापेमारी के बाद उन्हें केवल मेरे चार मफलर मिले.

हमारे विधायकों को गिरफ्तार किया गया.’ केजरीवाल ने कहा, ‘उपराज्यपाल ने हमारी सरकार की 400 फाइलें मंगवाई (दो वर्षों में लिए गए निर्णयों से जुड़े हुए) लेकिन उन्हें हमारे खिलाफ कुछ नहीं मिला. जब उन्हें हमारे खिलाफ कुछ नहीं मिला तो हमारे 20 विधायकों को अयोग्य करार दे दिया.’

यशवंत सिन्हा-शत्रुघ्न सिन्हा का आप को समर्थन

दिलचस्प ये है कि बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा ने भी आप का समर्थन किया है. यशवंत सिन्हा ने कहा कि यह फैसला तुगलकशाही के चरम को दर्शाता है. पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवन्त सिन्हा ने ट्वीट किया, ‘आप के 20 विधायकों को अयोग्य करार देने का राष्ट्रपति का आदेश नैसर्गिक न्याय की पूरी तरह से विफलता है. कोई सुनवाई नहीं, हाई कोर्ट के आदेश का कोई इंतजार नहीं.’ शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा आप के खिलाफ प्रतिशोध की राजनीति ज्यादा नहीं चलेगी.

चुनाव आयोग की सिफारिश पर मुहर

निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को सिफारिश की थी कि 13 मार्च 2015 और आठ सितंबर 2016 के बीच लाभ का पद रखने को लेकर 20 विधायक अयोग्य ठहराए जाने के हकदार हैं. संबंधित आप विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया गया था और याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल ने कहा था कि यह उनके पास लाभ का पद है. मुद्दे पर राष्ट्रपति को राय देते हुए निर्वाचन आयोग ने कहा था कि विधायकों ने ससंदीय सचिव का पद लेकर लाभ का पद हासिल किया और वे विधायक के रूप में अयोग्य ठहराए जाने के हकदार हैं.

राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग की सिफारिश को मानने के लिए बाध्य होते हैं. नियमों के तहत जनप्रतिनिधियों को अयोग्य ठहराए जाने की मांग को लेकर राष्ट्रपति को भेजी जाने वाली याचिकाएं निर्वाचन आयोग को भेज दी जाती हैं. निर्वाचन आयोग याचिकाओं पर फैसला करता है और अपनी सिफारिश राष्ट्रपति भवन को भेजता है जो मान ली जाती है.

निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति को भेजे गए अपने मत में कहा था कि ‘संसदीय सचिव रहने वाले व्यक्ति ने लाभ लिया हो या न लिया हो या सरकार के अधिशासी कार्य में भागीदारी की हो या नहीं की हो, कोई फर्क नहीं पड़ता’ जैसा कि उच्चतम न्यायालय ने जया बच्चन के मामले में कहा था कि यदि पद लाभ के पद के तहत आता है तो अयोग्यता आसन्न होती है. आयोग ने कहा था कि वह अपना मत विगत की न्यायिक घोषणाओं, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम और संविधान के आधार पर दे रहा है.

ये हैं सदस्यता गंवाने वाले 20 विधायक

अयोग्य ठहराए गए 20 विधायकों में आदर्श शास्त्री (द्वारका), अल्का लांबा (चांदनी चौक), अनिल बाजपेई (गांधीनगर), अवतार सिंह (कालकाजी), कैलाश गहलोत (नजफगढ़), जो मंत्री भी हैं, मदनलाल (कस्तूरबा नगर), मनोज कुमार (कोंडली), नरेश यादव (महरौली), नितिन त्यागी (लक्ष्मीनगर), प्रवीण कुमार (जंगपुरा), राजेश गुप्ता (वजीरपुर) राजेश रिषि (जनकपुरी), संजीव झा (बुराड़ी), सरिता सिंह (रोहतास नगर), सोमदत्त (सदर बाजार), शरद कुमार (नरेला), शिवचरण गोयल (मोती नगर), सुखबीर सिंह (मुंडका), विजेंद्र गर्ग (राजेंद्र नगर) और जरनैल सिंह (तिलक नगर) शामिल हैं.