रैलियों में उठने वाले मुद्दों में दो मुद्दे कॉमन हैं, वह है रोजगार और स्वरोजगार. दरअसल, नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद रोजगार संबंधी कई ऐसे आंकड़े आए हैं जिसने विपक्ष को मोदी सरकार को घेरने का मौका दिया है. ज्यादातर रिपोर्ट में यह दावा है कि बीजेपी की सरकार में रोजगार का नया अवसर पैदा होना तो दूर, लोगों की असंगठित क्षेत्रों में नौकरियां गई और बेरोजगारी बढ़ी. जबकि मोदी सरकार ने इसकी सफाई में रोजगार के आंकड़े तो नहीं दिये. हां, यह जरूर है कि सरकार ने स्वरोजगार बढ़ने संबंधी मुद्रा लोन के आंकड़े दिये. विपक्ष का सीधा सवाल है कि 2014 में मुक्कमल रोजगार देने का वायदा था, न की स्वरोजगार का.