सांसद और आईटी इंडस्ट्री: H-4 वीजा धारकों के वर्क परमिट खत्म करने के खिलाफ हैं...

सांसद और आईटी इंडस्ट्री: H-4 वीजा धारकों के वर्क परमिट खत्म करने के खिलाफ हैं…

प्रभावशाली सांसदों और फेसबुक समेत अमेरिकी आईटी उद्योग के प्रतिनिधियों ने एच-4 वीजा धारकों को काम करने की मंजूरी (वर्क परमिट) खत्म करने की ट्रंप प्रशासन की प्रस्तावित योजना का विरोध किया है. फेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी शीर्ष आईटी कंपनियों द्वारा सिलिकॉन वैली में स्थापित एफडब्ल्यूडीडॉटयूएस ने मंगलवार (24 अप्रैल) को एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘इस नियम को खारिज करना और अमेरिकी कार्यबल से हजारों लोगों को हटाना उनके परिवारों के लिए विनाशकारी होगा और इससे हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा.’’ सांसद और आईटी इंडस्ट्री: H-4 वीजा धारकों के वर्क परमिट खत्म करने के खिलाफ हैं...

इससे एक दिन पहले अमेरिकी मीडिया ने अमेरिकी नागरिक एवं आव्रजन सेवाओं का पत्र प्रकाशित किया जिसमें ओबामा शासन के दौरान एच-4 वीजा धारकों को काम करने की अनुमति देने वाले अधिनियम को खत्म करने का फैसला लिया गया था. एच-4 वीजा धारकों में सबसे अधिक संख्या भारतीय पेशेवरों और ज्यादातर महिलाओं की है. एच-4 वीजा उनको दिया जाता है जो एच-1 बी वीजा धारकों के पति या पत्नी हैं.

कैलिफोर्निया के शीर्ष 15 सांसदों के एक समूह की रिपोर्ट में कहा गया है कि एच-4 वीजा से तकरीबन 100,000 लोगों को काम शुरू करने की अनुमति मिली और यह आगे उनके समुदायों में फैल गया. लीवर फोटोनिक्स और एच-4 वीजा धारक डॉ. मारिया नवास मोरेनो ने कहा, ‘‘तकरीबन 100,000 एच-4 वीजा धारकों की काम करने की अनुमति को खत्म करने से जिसमें ज्यादा मेरे जैसी शिक्षित महिलाएं हैं, हमारे देश को नुकसान पहुंचेगा और हजारों अमेरिकी परिवारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. हमें कानूनी आव्रजन की रक्षा करनी चाहिए इससे अमेरिका को आने वाली पीढ़ियों के लिए नवोन्मेष में आगे बने रहने में मदद मिलेगी.’’

भारतीय IT कंपनियों को एच-1बी वीजा मंजूरियों में 43 प्रतिशत की गिरावट : रिपोर्ट
वहीं दूसरी ओर भारत की शीर्ष सात सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों को 2015 की तुलना में 2017 में कम एच-1 बी वीजा मिले हैं. इस दौरान वीजा मंजूरियों में 43 प्रतिशत की गिरावट आई. अमेरिकी के एक शोध संस्थान ने वीजा की संख्या में कमी की वजह क्लाउड कंप्यूटिंग और कृत्रिम मेधा (एआई) को बताया.

वॉशिंगटन के शोध संस्थान नेशनल फाउंडेशन ऑफ अमेरिकन पॉलिसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2017 में भारतीय कंपनियों को 8,468 नए एच-1 बी वीजा दिए गए हैं, जो अमेरिका के 16 करोड़ के श्रमबल का मात्र 0.006 प्रतिशत है. भारत की शीर्ष सात कंपनियों के लिए वित्त वर्ष 2017 में 8,468 नए एच-1 बी वीजा आवेदनों को मंजूरी दी गई, जो कि 2015 में मिली मंजूरियों की तुलना में 43 प्रतिशत कम है. 2015 में भारतीय कंपनियों के 14,792 वीजा आवेदनों को मंजूरी मिली थी.

 

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