देश की सरकारी टेलिकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) का आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है. बीएसएनएल को वित्त वर्ष 2018-19 में 12,000 करोड़ रुपये तक का घाटा हो सकता है. आगामी 16 अप्रैल को बीएसएनएल के बोर्ड की बैठक में सालाना नतीजों के रुख पर चर्चा हो सकती है. इस बैठक में निवेश की अन्य योजनाओं के बारे में भी बात होने की संभावना है.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीएसएनएल के घाटे में लगातार इजाफा हो रहा है और यह पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में 12,000 करोड़ रुपये तक हो सकता है.
एजेंसी सूत्रों के मुताबिक अगर सरकारी परियोजनाओं से हुई कमाई को जोड़ दिया जाए तो भी घाटे में मामूली कमी आ सकती है. बता दें कि वित्त वर्ष 2008 में अंतिम बार कंपनी को मुनाफा हुआ था, उसके बाद से कंपनी को 2009 से लेकर 2018 तक 82,000 करोड़ रुपये का संचयी घाटा हुआ है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएसएनएल पिछले 13 सालों से घाटे में हैं, लेकिन घाटे के अपने आंकड़े नहीं दे रही है. वित्तीय और दूरसंचार विशेषज्ञों को कंपनी के हालात का विश्लेषण करने के लिए प्रबंधन की ओर से विश्वसनीय जानकारी नहीं मिलती है.
इस पर बीएसएनएल का कहना है कि यह गैर-सूचीबद्ध कंपनी है, इसलिए आंकड़े सार्वजिनक करने की अनिवार्यता नहीं है.
यह आंकड़े तब सामने आए जब दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने पिछले साल संसद को बताया. उन्होंने बताया कि बीएसएनएल का सालाना घाटा वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 7,992 करोड़ रुपये हो गया. इससे पहले 2016-17 में कंपनी का घाटा 4,786 करोड़ रुपये रहा.
विश्लेषक बताते हैं कि फरवरी में बीएसएनएल में वेतन का मसला सामने आने के बाद उनके मन में कंपनी की वास्तविक वित्तीय स्थिति को लेकर कई सवाल उठे.