नई दिल्ली : सेना में जूनियर कमिशंड अफसर (JCO) और अदर्स रैंक (OR) के लोगों के लिए 33 साल बाद कैडर रिव्यू का फैसले को अंतिम मंजूरी मिल गई है, जिससे उनके प्रमोशन के चांस बढ़ेंगे। इस फैसले से सेना के करीब साढ़े 11 लाख लोग प्रभावित होंगे।
सेना में अब तक 2 बार ही कैडर रिव्यू हो सका है। पहला रिव्यू 1979 में जबकि दूसरा 1984 में हुआ था, जबकि हर 5 साल में कैडर रिव्यू हो जाना चाहिए। तीसरे रिव्यू के लिए 2009 में वाइस चीफ के मातहत स्टडी शुरू हुई जिसे अब जाकर मंजूरी मिली है।
पिछले हफ्ते हुए फैसले के मुताबिक 1,45,137 रैंक बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है। इन रैंक में नायक, हवलदार, नायब सूबेदार, सूबेदार और सूबेदार मेजर शामिल हैं। इससे लांस नायक/ सिपाही रैंक की संख्या कम होगी। रैंक में बढ़ोतरी पर अमल क्रमबद्ध तरीके से 5 साल में किया जाएगा। 2018 में 30 फीसदी बढ़ोतरी होगी फिर उसके अगले 3 साल तक हर बार 20 फीसदी और 2022 में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।
1984 के बाद से सेना में जेसीओ और अदर्स रैंक पर काम करने वालों की जिम्मेदारियां बढ़ चुकी हैं। इन पर पहले से ज्यादा पढ़े-लिखे लोग आ रहे हैं। उनका ज्यादा तकनीकी पहलुओं से सामना हो रहा है। पिछले कुछ बरसों में कई नई यूनिटों का गठन हुआ है लेकिन ऊपरी रैंक पर पदों की संख्या कम होती जाती है। इसी वजह से कैडर रिव्यू जरूरी था।
इतने प्रमोशन संभव
सूबेदार मेजर – 479
सूबेदार – 7,769
नायब सूबेदार -13,466
हवलदार -58,493
नायक – 64,930
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