सुप्रीम कोर्ट ने बदला अपना आदेश, सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना अब जरूरी नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने बदला अपना आदेश, सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना अब जरूरी नहीं

अपने ही आदेश को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में फिल्म दिखाए जाने से पहले राष्ट्रगान बजाने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का रुख बदलने के बाद माना जा रहा था कि कोर्ट भी अपना फैसला पलट सकता है। केंद्र सरकार ने सोमवार को कोर्ट से कहा था कि अदालत को अपने आदेश में बदलाव करना चाहिए। केंद्र ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि इस मुद्दे पर इंटर मिनिस्ट्रियल कमिटी का गठन किया गया है ताकि वह नई गाइडलाइंस तैयार कर सके। सुप्रीम कोर्ट ने बदला अपना आदेश, सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना अब जरूरी नहींसुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सरकार के हलफनामे को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने कहा कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने संबंधी अंतिम फैसला केंद्र द्वारा गठित कमिटी लेगी। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि कमिटी को सभी आयामों पर व्यापक रूप से विचार करना चाहिए। इस फैसले के बाद फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजाना या न बजाना सिनेमाघरों के मालिकों की मर्जी पर निर्भर होगा। कोर्ट ने कहा कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने से दिव्यांगों को छूट मिलती रहेगी। 

राष्ट्रगान पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश और केंद्र के रवैये पर कई लोगों द्वारा सवाल उठाए गए थे। कहा गया था कि लोग मनोरंजन के लिए फिल्म देखने जाते हैं, वहां उनपर इस तरह देशभक्ति थोपी नहीं जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछले साल 23 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान कहा था कि राष्ट्रगान नहीं गाने को राष्ट्र विरोधी नहीं कहा जा सकता है। देशभक्ति दिखाने के लिए राष्ट्रगान गाना जरूरी नहीं है। साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि देशभक्ति के लिए बांह में पट्टा लगाकर दिखाने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने संकेत दिया था कि वह 2016 में राष्ट्रगान मामले में दिए फैसले की समीक्षा कर सकता है। 

क्या था कोर्ट का आदेश?
सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2016 में दिए अपने आदेश में कहा था कि सिनेमा हॉल में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाएगा और लोग खड़े होंगे। कोर्ट ने कहा था कि इस दौरान स्क्रीन पर राष्ट्र-ध्वज दिखाया जाएगा। केंद्र ने भी इस फैसले का समर्थन किया था। तत्कालीन अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तब सुप्रीम कोर्ट से कड़ा आदेश देने की पुरजोर वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि इस बात पर बहस शुरू होनी चाहिए कि स्कूल के पाठ्यक्रम में राष्ट्रगान गाने की अनिवार्यता को शामिल क्यों नहीं किया जा सकता है। 

केंद्र ने क्यों बदला स्टैंड? 

दरअसल, राष्ट्रगान को अनिवार्य करने के केंद्र के निर्देश के बाद कई घटनाएं सामने आई थीं, जिसमें भीड़ ने किसी कारण से खड़े नहीं होने पर लोगों को पीट दिया था। कुछ ऐसी भी घटनाएं सामने आईं, जिसमें शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति राष्ट्रगान के समय सिनेमा हॉल में खड़ा नहीं हो सका और भीड़ ने उसकी पिटाई कर दी। एक-दो लोगों को नहीं पूरे परिवार को ही हॉल से बाहर कर दिया गया। 
 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com