संयुक्त राष्ट्र: युद्ध और आतंकवाद से जूझ रहे सीरिया के संकट को हल करने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ में संघर्ष विराम के मसौदे के प्रस्‍ताव को लेकर शुक्रवार को होने वाली वोटिंग रुक गई. अब संभावना है कि शनिवार को ये वोटिंग हो सकती है. ये मतदान सुरक्षा परिषद के 5 स्‍थाई और 10 अस्‍थाई सदस्‍य करते हैं. संयुक्त राष्ट्र में स्वीडन के राजदूत ओलोफ स्कूग ने कहा कि वह शुक्रवार को हुए इस गतिरोध से बेहद हताश थे. उन्होंने कहा, ‘मैं बेहद हताश हूं कि संयुक्त राष्ट्र सीरिया के लोगों के कष्ट कम करने का प्रयास करने वाले इस मसौदे पर सहमति नहीं बना पाया.’ उन्होंने कहा कि इस पर अब शनिवार को मतदान होगा.सीरिया में संघर्ष विराम के मसौदे पर यूएन की सुरक्षा परिषद में थमी वोटिंग, आज होने की उम्‍मीद

गोपनीय वार्ता के बाद भी नहीं हो पाई सहमति

यूएन में कुवैत के राजदूत मंसूर अली ओतेबी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सीरिया में 30 दिवसीय संघर्ष विराम की मांग संबंधी मसौदा प्रस्ताव पर मतदान शनिवार तक के लिए स्थगित कर दिया है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, फरवरी माह के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष अल ओतेबी ने कहा कि सुरक्षा परिषद के सदस्यों के बीच शुक्रवार को कई दौर की गोपनीय वार्ता के बाद कोई सहमति नहीं बन पाई.

सहमति बनाने की कोशिश जारी,15 सदस्‍य करेंगे वोटिंग

ओतेबी ने कहा कि परिषद के सदस्य इस मसौदे पर सहमति बनाने के बहुत करीब थे लेकिन वे मतभेदों को दूर नहीं कर पाए. उन्‍होंने बताया, ‘हम इस मसौदे पर सहमति बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं और उम्मीद है कि परिषद के सभी 15 सदस्य एकजुट होकर इसके पक्ष में वोट करेंगे.’

30 दिवसीय संघर्ष विराम की मांग 

कुवैत और स्वीडन द्वारा तैयार किए गए इस मसौदे में सीरिया में 30 दिवसीय संघर्ष विराम लागू करने की मांग की गई है, ताकि इस बीच मानवीय सहायता पहुंचाई जा सके और संकटग्रस्त क्षेत्रों से गंभीर रूप से बीमार लोगों को सकुशल निकाला जा सके. इस मसौदे पर पहले शुक्रवार को मतदान होना था.

स्वीडन के राजदूत बोले- हार नहीं मानेंगे

स्कूग ने हाल ही में हिंसा में बढ़ोतरी का उल्लेख करते हुए कहा, ‘हम हार नहीं मानेंगे, क्योंकि इस समय संघर्ष-विराम की सख्त जरूरत है.’ स्कूग ने बताया,’मुझे उम्मीद है कि हम शनिवार को सशक्त, सार्थक और प्रभावशाली मसौदा पारित कर पाएंगे.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि हम सभी इससे सहमत होंगे कि संघर्ष विराम को तत्काल भाव से लागू करने की जरूरत है. इसे किस तरह से प्रभावी किया जाए, इस पर चर्चा होना बाकी है.’