भोपाल । मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्वर्ण जयंती के मौके पर अपने जवानी के दिनों को याद किया, जब उन्होंने इमरजेंसी के खिलाफ तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ मोर्चा बुलंद कर रखा था। शनिवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की 50वीं स्वर्ण जयंती प्रांत अधिवेशन में उन्होंने कहा कि इमरजेंसी का विरोध करने पर उन्होंने पुलिस से मार भी खाई।
शिवराज सिंह बोले, तक मैं ABVP का कार्यकर्ता था
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दौर में मैं एबीवीपी का कार्यकर्ता था और इमरजेंसी के विरोध में पर्चे बांटा करता था। मेरा नाम न जाने कैसे पुलिस के गिरफ्तारी रजिस्टर में लिख लिया गया। नौ अप्रैल की रात पुलिस मेरे कमरे पर पहुंची और पूछा, शिवराज सिंह चौहान कौन है? मैंने कहा कि मैं ही हूं। इस पर उन्हें मेरी दुबली-पतली काया देख भरोसा नहीं हुआ कि मैं क्या इमरजेंसी का विरोध करूंगा, लेकिन जब घर की तलाशी ली, तो आंदोलन संबंधी तमाम सामग्री बरामद हो गई। पुलिस ने मुझे दो झापड़ मारे और ऐसी गाली दी कि मैं बता नहीं सकता। यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की 50वीं स्वर्ण जयंती प्रांत अधिवेशन में कही।
वामपंथ देश की प्रगति नहीं चाहताउन्होंने कहा परिषद का कार्यकर्ता रहते अनुशासन एवं योजना बनाना सीखा था, जो सरकार चलाने में सहायक हो रहा है। परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एस सुबैया ने कहा कि राष्ट्रनिर्माण के लिए काम करते समय एबीवीपी देश के ध्वज को आगे रखती है न कि अपने ध्वज को। दक्षिण में वामपंथ पागलपन की ओर अग्रसर है। केरल में सैकड़ों स्वयंसेवकों की हत्याएं की गई हैं। वामपंथ देश की प्रगति नहीं चाहता। इस अवसर पर राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील आंबेकर, स्वागत समिति अध्यक्ष दिलीप सूर्यवंशी, सचिव केसी शर्मा, प्रांत अध्यक्ष दीपक पालीवाल, प्रांत मंत्री बंटी चौहान आदि मौजूद रहे।