बीआरडी अस्पताल में बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। पिछले तीन दिन में ही मौत का आंकड़ा करीब 70 तक पहुंच गया है, लेकिन सरकार को अपनी कुर्सी की चिंता है। गोरखपुर में मरीजों की मौत के सवाल को लेकर योगी सरकार के पास जवाब नहीं है। बीआरडी पहुंचे सीएम योगी से जब घटना को लेकर पत्रकारों ने सवाल पूंछा तो वह बौखला गए और कहा कि, कुछ तो शर्म करो! उनके साथ केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा भी मौजूद रहे।रविवार को चार साल के बच्चे की दिमागी बुखार के कारण मौत हो गई। इसी पर पत्रकारों के सवालों से सीएम घिर गए। बीजेपी की सरकार बनने के बाद से हत्या, रेप, अपहरण जैसी वारदातें चरम पर पहुंच गईं और सीएम योगी रोक लगाने में नाकाम रहे। प्रदेश की व्यवस्थाएं सरकार के बनने के बाद से चरमराने लगीं।
अस्पतालों में डॉक्टरों की करतूतों की खबरें भी आती रहीं, लेकिन सीएम महज फरमानों और अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग कर चर्चा में बने रहे। ठोस रणनीति तैयार कर व्यवस्थाएं दुरूस्त करने की कोशिश नहीं की गई। सरकार के वादों की पोल बीआरडी अस्पताल ने खोलकर रख दीं, लेकिन इतने सब के बाद भी सरकार अपनी जिम्मेदारी से बचती नजर आ रही है।
आखिर कब तक कुर्सी के लिए मौत का खेल?
कुर्सी पाने और सरकार की साख बचाने के लिए जनता के प्रति जवाबदेह सरकार पत्रकारों के सवालों का सामना नहीं कर पा रही है और न ही गरीबों के साथ न्याय कर रही है। सरकार के बचाव में जुटे बीजेपी के नेता अपना राग अलापने में लगे हैं। अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों को बार-बार झूठा बताया जा रहा है। सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं कि जब ऑक्सीजन की कमी से अस्पताल में मौत नहीं हुई तो सिलेंडर की आपूर्तिकर्ता पर लापरवाही बरतने के आरोप में कॉलेज के प्रिंसिपल को निलंबित क्यों किया गया।
अभी-अभी: गोरखपुर के BRD अस्पताल पहुंचे सीएम योगी शुरू किया…
सीएम ने किए सवाल
मुख्यमंत्री ने ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत की खबरों से इंकार करते हुए कहा कि राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति प्रकरण की जांच करेगी और किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने तर्क दिया कि डेंगू, चिकुनगुनिया, स्वाइन फ्लू और कालाजार जैसे मुददों पर अधिकारियों से बातचीत की थी और उनसे पूछा था कि उनकी आवश्यकता क्या है और क्या उन्हें किसी तरह की कोई समस्या है।
लेकिन आक्सीजन आपूर्ति से जुड़ा मुद्दा उनके संज्ञान में नहीं लाया गया। वहीं, यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ ने भी अजीबोगरीब बयान देते हुए कहा कि अगस्त में तो बच्चे मरते ही हैं, इसमें नई बात क्या है?
स्वास्थ्य मंत्री ने बीआरडी में हुई मौतों पर पिछले कई सालों का आंकड़ा जारी करते हुए लोगों को गुमराह किया। लेकिन अब अपने ही जवाब में फंसते नजर आ रहे हैं। चूंकि जनता यह जानना चाहती है कि जब उनको पता था कि अगस्त महीने में बच्चे बीआरडी में अधिक मरते हैं तो इसके लिए पहले से इंतजाम क्यों नहीं किए गए। इस आंकड़े पर पहले ही गौर क्यों नहीं किया गया? समय रहते यदि सरकार चेत जाती तो शायद यह नहीं होता। लेकिन शासन और प्रशासन की लापरवाही के कारण कई निर्दोषों की जानें गईं।
तो क्या डीएम की रिपोर्ट झूठी
एक तरफ सरकार बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों को लेकर सिरे से खारिज कर रही है, वहीं दूसरी ओर गोरखपुर के डीएम ने प्रशासन की रिपोर्ट में भी अस्पताल में हुई मौतों का कारण ऑक्सीजन की कमी बताया है। रिपोर्ट की प्राथमिक जांच चिकित्सा शिक्षामंत्री आशुतोष टंडन को सौंप दी गई है। शुक्र है कि मीडिया रिपोर्ट् के आंकड़ों को गलत बताने वाली सरकार ने अभी तक डीएम की रिपोर्ट को झूठ नहीं बताया है।