खुद को वन विभाग में अधिकारी बता सरकारी नौकरी लगवाने का झांसा देकर युवाओं को ठगने वाले दो जालसाजों को साइबर क्राइम पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार आरोपित अब तक 27 से ज्यादा युवक-युवतियों को शिकार बना चुके हैं। उन्होंने पूछताछ में इन युवक-युवतियों से तकरीबन 25 लाख रुपये ठगने की बात स्वीकारी है। इस मामले की जांच में बड़ा खुलासा होने की संभावना है।
डीआइजी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल ने बताया, वन विभाग की ओर से शिकायत मिली थी कि एक गिरोह युवाओं को विभाग के फर्जी नियुक्ति पत्र दे रहा है। इस मामले में छह फरवरी को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसकी जांच इंस्पेक्टर पंकज पोखरियाल को सौंपी गई।
जांच के दौरान पता चला कि सुमितानंद भट्ट निवासी ग्राम ककोला रुद्रप्रयाग हाल निवासी अजबपुर खुर्द और विक्की सिंह राणा निवासी अमकोटी, पौड़ी गढ़वाल हाल निवासी निकट चिल्ड्रन पब्लिक स्कूल ढालवाला यह गिरोह चला रहे हैं। पुलिस ने सुमितानंद को अजबपुर कलां, जबकि विक्की को ऋषिकेश से गिरफ्तार कर लिया। दोनों आरोपित हर युवा से नौकरी दिलाने के नाम पर तीन से पांच लाख रुपये लेते थे।
वाट्सएप से चल रहा था ठगी का धंधा
पीड़ितों से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि युवाओं को अपने जाल में फंसाने के लिए आरोपितों ने एक वाट्सएप ग्रुप बना रखा है। जांच में सामने आया कि आरोपित पहले इस वाट्सएप ग्रुप से युवाओं को जोड़ते थे। इसके बाद उन्हें नमामि गंगे, यूपीसीएल, वन विभाग में वन बीट अधिकारी, वन दरोगा, एलडीसी, अकाउंट आदि में विभिन्न पदों पर भर्ती का प्रलोभन दिया जाता था।
ठगी के बाद पीड़ित को ग्रुप से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता था। आरोपितों ने एक और वाट्सएप ग्रुप बना रखा था। इसमें नौकरी और ट्रेनिंग के संबंध में दिशा-निर्देश देने के साथ नियुक्ति पत्र जारी किए जाते थे।
वन विभाग और यूपीसीएल के फर्जी लेटरपैड व मुहर मिली
तलाशी के दौरान आरोपितों के पास से वन विभाग और यूपीसीएल के फर्जी लेटर पैड, कई युवक-युवतियों के नाम जारी फर्जी नियुक्ति पत्र, उनके शैक्षिक प्रमाण पत्र, विभिन्न बैंकों के खातों से संबंधित चेक बुक, एटीएम कार्ड, डोंगल, रबर, मुहर, वन विभाग और यूपीसीएल की फर्जी मुहर, कैमरा, मोबाइल, लैपटॉप, नेम प्लेट आदि बरामद किए गए।
वानिकी में एमएससी पास है विक्की
सीओ अंकुश मिश्रा ने बताया कि आरोपित विक्की पोस्ट ग्रेजुएट है। उसने वानिकी में एमएससी किया है। इसलिए उसे वन विभाग की अच्छी जानकारी है।
वेतन के नाम पर कुछ माह तक 15 से 18 हजार रुपये भी दिए
नौकरी न मिलने पर अगर कोई युवक-युवती दबाव बनाता था तो आरोपित उसे कुछ माह तक 15 से 18 हजार रुपये हर महीने देते थे। आरोपितों ने दो बार युवक-युवतियों को वन विभाग की फर्जी ट्रेनिंग भी दिलाई।
खुद को बताते थे अधिकारी
पुलिस के अनुसार विक्की सिंह राणा ने पूछताछ में बताया कि वह खुद को प्रमुख वन संरक्षक, जबकि सुमितानंद भट्ट अपने को सहायक वन संरक्षक बताता था। दोनों ने अपने वाहनों के लिए इसी पदनाम की नेम प्लेट भी बनवा रखी थीं। इनका इस्तेमाल आरोपित खासकर तब करते थे, जब वह पहाड़ी जिलों में जाते थे या किसी युवा को झांसे में लेना होता था। इससे अपना रुतबा दिखा सकें। नेम प्लेट में वन विभाग का लोगो और एसीए मुख्यालय देहरादून लिखा है।