मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिला प्रशासन ने शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ कोविड-19 गाइडलाइन का उल्लंघन करने के मामले में पड़ाव थाने में एफआइआर दर्ज करवा दी। एफआइआर हाई कोर्ट के आदेश के पालन में करवाई गई। केस दर्ज किए जाने की जानकारी हाई कोर्ट को राज्य शासन की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल अंकुर मोदी ने दी। इसके अलावा भांडेर में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ पर दर्ज हुए केस की भी जानकारी दी गई। उनके खिलाफ सात अक्टूबर को केस दर्ज हुआ था।

वहीं, चुनाव आयोग की ओर से हाई कोर्ट में कहा गया कि 20 अक्टूबर के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर कर दी गई है। इन पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। वहां सुनवाई के बाद नवंबर के पहले हफ्ते में इस याचिका को सुना जाएगा। हालांकि चुनावी सभाओं को लेकर 20 अक्टूबर का आदेश ही प्रभावी रहेगा। इसी बीच, कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रामनिवास रावत के खिलाफ भी कोविड-19 गाइडलाइन उल्लंघन पर बहोड़ापुर थाने में एफआइआर दर्ज की गई है।
गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने अपने उक्त आदेश में चुनावी सभाओं के लिए शर्ते कड़ी कर दी थीं और इसके लिए चुनाव आयोग की अनुमति भी अनिवार्य कर दी थी। साथ ही चुनावी सभाओं में कोविड-19 की गाइडलाइन का उल्लंघन करने वाले नेताओं पर केस दर्ज कर अनुपालन रिपोर्ट शुक्रवार को पेश करने को कहा था। उधर, चुनाव आयोग और भाजपा प्रत्याशी प्रद्युम्न सिंह तोमर व मुन्नालाल गोयल द्वारा इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई एसएलपी शुक्रवार देर शाम तक सुनवाई में नहीं आ सकी।
हालांकि याचिका में तत्काल सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई थी। जब जिला प्रशासन के पास दूसरा विकल्प नहीं बचा तो शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट के रिटर्निग ऑफिसर एचबी शर्मा की शिकायत पर नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ धारा 188 (नियम उल्लंघन), 269 (महामारी फैलाकर अन्य लोगों की जान को खतरा पैदा करना) व 51(बी) आपदा प्रबंधन के तहत एफआइआर दर्ज की गई। चुनावी सभाओं में हो रही भीड़ पर प्रतिबंध के लिए अधिवक्ता आशीष प्रताप सिंह ने एक जनहित याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए तीन अक्टूबर व 20 अक्टूबर को दो अहम आदेश दिए हैं।
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