प्रतीकों पर भिड़ंत दोनों नेताओं के बीच देश की आजादी के लिए हुए आंदोलन के प्रतीकों को लेकर भी भिड़ंत साफ दिखी. पीएम मोदी ने भारत छोड़ो आंदोलन में गांधी जी के योगदान का जिक्र किया तो सोनिया ने बार-बार आजादी के आंदोलन में नेहरू और कांग्रेस का जिक्र किया. यहां तक कि सोनिया गांधी ने संघ का नाम लिए बिना तंज कसा कि आजादी के आंदोलन का कुछ नेताओं और संगठनों ने विरोध तक किया था. वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी ने महात्मा गांधी, डांडी मार्च, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस तक के योदगान का जिक्र किया लेकिन नेहरू का नाम नहीं लिया. ये भी पढ़ें- संघ पर सोनिया का तंज- कुछ लोगों और संगठनों ने किया था भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध नारों की जंग दोनों नेताओं के बीच नारों की जंग भी देखने को मिली. PM मोदी ने कहा कि हमारे लिए दल से बड़ा देश है, राजनीति से बड़ी राष्ट्रनीति होती है. भ्रष्टाचार के दीमक ने देश को तबाह कर दिया था, हमें इस स्थिति को बदलना होगा. हमारे सामने गरीबी, कुपोषण और शिक्षा की चुनौती है ये सिर्फ सरकार की नहीं देश की चुनौती हैं. मोदी ने कहा- गांधी ने नारा दिया था करेंगे या मरेंगे. हम सब मिल करके तय करें- भ्रष्टाचार दूर करेंगे दूर करके रहेंगे. गरीबी दूर करेंगे दूर करके रहेंगे. नौजवानों को रोजगार से जोड़ेंगे. देश को कुपोषण से मुक्त करेंगे करके रहेंगे. महिलाओं को आगे बढ़ने वाली बेड़ियों से मुक्त करेंगे और करके रहेंगे. वहीं सोनिया गांधी ने कहा- अगर हमें अपनी आजादी को सुरक्षित रखना है तो हमें हर दमनकारी शक्ति के खिलाफ संघर्ष करना होगा चाहे वे कितनी भी सक्षम हो. हमें उस भारत के लिए लड़ना है जिस भारत में हम विश्वास रखते हैं, जिसमें भारत में हर कोई आजाद है जिसकी आजादी निर्विवाद है.

संसद में पहली बार मोदी vs सोनिया के बिच जब छिड़ी एजेंडों, प्रतीकों और नारों पर जंग

लोकसभा में बुधवार को एक ऐतिहासिक नजारा देखा गया. मौका था भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल पूरे होने का. इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आजादी के वीर सिपाहियों को याद किया और उनके संघर्ष से प्रेरणा लेने का आह्वान किया. लेकिन ये मौका मोदी और सोनिया के बीच की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से नहीं बच सका. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की विचारधारा पर जमकर निशाना साधा. ये पहला मौका था जब संसद में मोदी और सोनिया इस तरह आमने-सामने थे और दोनों ने इसे भुनाने की कोई कसर नहीं छोड़ी.प्रतीकों पर भिड़ंत  दोनों नेताओं के बीच देश की आजादी के लिए हुए आंदोलन के प्रतीकों को लेकर भी भिड़ंत साफ दिखी. पीएम मोदी ने भारत छोड़ो आंदोलन में गांधी जी के योगदान का जिक्र किया तो सोनिया ने बार-बार आजादी के आंदोलन में नेहरू और कांग्रेस का जिक्र किया. यहां तक कि सोनिया गांधी ने संघ का नाम लिए बिना तंज कसा कि आजादी के आंदोलन का कुछ नेताओं और संगठनों ने विरोध तक किया था. वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी ने महात्मा गांधी, डांडी मार्च, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस तक के योदगान का जिक्र किया लेकिन नेहरू का नाम नहीं लिया.  ये भी पढ़ें- संघ पर सोनिया का तंज- कुछ लोगों और संगठनों ने किया था भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध  नारों की जंग  दोनों नेताओं के बीच नारों की जंग भी देखने को मिली. PM मोदी ने कहा कि हमारे लिए दल से बड़ा देश है, राजनीति से बड़ी राष्ट्रनीति होती है. भ्रष्टाचार के दीमक ने देश को तबाह कर दिया था, हमें इस स्थिति को बदलना होगा. हमारे सामने गरीबी, कुपोषण और शिक्षा की चुनौती है ये सिर्फ सरकार की नहीं देश की चुनौती हैं. मोदी ने कहा- गांधी ने नारा दिया था करेंगे या मरेंगे. हम सब मिल करके तय करें- भ्रष्टाचार दूर करेंगे दूर करके रहेंगे. गरीबी दूर करेंगे दूर करके रहेंगे. नौजवानों को रोजगार से जोड़ेंगे. देश को कुपोषण से मुक्त करेंगे करके रहेंगे. महिलाओं को आगे बढ़ने वाली बेड़ियों से मुक्त करेंगे और करके रहेंगे. वहीं सोनिया गांधी ने कहा- अगर हमें अपनी आजादी को सुरक्षित रखना है तो हमें हर दमनकारी शक्ति के खिलाफ संघर्ष करना होगा चाहे वे कितनी भी सक्षम हो. हमें उस भारत के लिए लड़ना है जिस भारत में हम विश्वास रखते हैं, जिसमें भारत में हर कोई आजाद है जिसकी आजादी निर्विवाद है.

एजेंडों की लड़ाई

भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल पूरे होने के मौके पर संसद में दोनों बड़े नेताओं के बीच एजेंडों की लड़ाई साफ दिखी. जब पीएम मोदी बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने कहा कि ये मौका महापुरुषों के बलिदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का है. नए भारत के लिए ये जरूरी है. इसके बाद पीएम मोदी ने जीएसटी को जहां अपनी सरकार की उपलब्धि बताया, वहीं विपक्ष को घेरने के लिए भ्रष्टाचार का मुद्दा उछाला. इसके बाद जब सोनिया गांधी बोलने के लिए उठीं तो उन्होंने बोलने की आजादी का मुद्दा उठाकर असहिष्णुता के मुद्दे को फिर उछाला. सोनिया गांधी ने कहा- आज भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल पूरे होने पर लोगों के मन में आशंका है कि क्या देश में बोलने की आज़ादी को रोका जा रहा है. नफरत और विभाजन की राजनीति हावी ही रही है. कई बार कानून के राज पर भी गैर कानूनी शक्तियां हावी हो रही हैं. हमें हर तरह की दमनकारी शक्ति से लड़ना है.

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प्रतीकों पर भिड़ंत

दोनों नेताओं के बीच देश की आजादी के लिए हुए आंदोलन के प्रतीकों को लेकर भी भिड़ंत साफ दिखी. पीएम मोदी ने भारत छोड़ो आंदोलन में गांधी जी के योगदान का जिक्र किया तो सोनिया ने बार-बार आजादी के आंदोलन में नेहरू और कांग्रेस का जिक्र किया. यहां तक कि सोनिया गांधी ने संघ का नाम लिए बिना तंज कसा कि आजादी के आंदोलन का कुछ नेताओं और संगठनों ने विरोध तक किया था. वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी ने महात्मा गांधी, डांडी मार्च, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस तक के योदगान का जिक्र किया लेकिन नेहरू का नाम नहीं लिया.

नारों की जंग

दोनों नेताओं के बीच नारों की जंग भी देखने को मिली. PM मोदी ने कहा कि हमारे लिए दल से बड़ा देश है, राजनीति से बड़ी राष्ट्रनीति होती है. भ्रष्टाचार के दीमक ने देश को तबाह कर दिया था, हमें इस स्थिति को बदलना होगा. हमारे सामने गरीबी, कुपोषण और शिक्षा की चुनौती है ये सिर्फ सरकार की नहीं देश की चुनौती हैं. मोदी ने कहा- गांधी ने नारा दिया था करेंगे या मरेंगे. हम सब मिल करके तय करें- भ्रष्टाचार दूर करेंगे दूर करके रहेंगे. गरीबी दूर करेंगे दूर करके रहेंगे. नौजवानों को रोजगार से जोड़ेंगे. देश को कुपोषण से मुक्त करेंगे करके रहेंगे. महिलाओं को आगे बढ़ने वाली बेड़ियों से मुक्त करेंगे और करके रहेंगे. वहीं सोनिया गांधी ने कहा- अगर हमें अपनी आजादी को सुरक्षित रखना है तो हमें हर दमनकारी शक्ति के खिलाफ संघर्ष करना होगा चाहे वे कितनी भी सक्षम हो. हमें उस भारत के लिए लड़ना है जिस भारत में हम विश्वास रखते हैं, जिसमें भारत में हर कोई आजाद है जिसकी आजादी निर्विवाद है.

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