केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि 21 फरवरी को शिवरात्रि के मौके पर घोषित होगी। लेकिन धाम अभी भी पूरी तरह से बर्फ के आगोश में है। धाम में करीब 10 फीट तक बर्फ है। वहीं मंदिर भी आधा बर्फ के बीच ही दबा है।
हाल ही में रुद्रप्रयाग प्रशासन की टीम ने केदारनाथ जाकर हालात का जायजा लिया। भारी बर्फ होने के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्य दो माह से बर्फ से ढके हैं। बीते वर्ष 12 दिसंबर से केदारपुरी 10 फीट से अधिक बर्फ से ढकी हुई है, जिस कारण पुनर्निर्माण कार्य ठप पड़े हैं।
ऐसे में यात्रा शुरू होने तक लक्षित कार्यों का पूरा होना संभव नहीं लग रहा है। श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं जुटाने में भी प्रशासन और विभागों को खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है। केदारनाथ में अभी 10 से 16 फीट तक बर्फ जमी है जिससे केदारनाथ में सभी पुनर्निर्माण कार्य ठप हैं।
इन हालातों में मंदाकिनी नदी पर गरुड़चट्टी को जोड़ने के लिए 60 मीटर स्पान, सरस्वती नदी पर भैरवनाथ मंदिर को जोड़ने के लिए 30 मीटर स्पान पुल समेत सरस्वती नदी किनारे आस्था मार्ग का निर्माण इस वर्ष कपाट खुलने तक पूरा होना मुश्किल होगा।
साथ ही पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि स्थल का पुनर्निर्माण कार्य सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है। बर्फ से लकदक रास्ते व धाम तक कपाट खुलने से लेकर शुरुआती एक महीने के लिए श्रद्धालुओं और ड्यूटी वाले अधिकारियों/कर्मचारियों को जरूरी सुविधाएं जुटाना भी आसान नहीं होगा। बर्फबारी से पैदल मार्ग से धाम तक संपत्तियों को भी व्यापक नुकसान पहुंचा है।
आगामी यात्रा को ध्यान में रखते हुए डीडीएमए-लोनिवि को पैदल मार्ग से धाम तक बर्फ हटाने के निर्देश दे दिए हैं। टीम ने मौके पर पहुंचकर वास्तविक स्थित और क्षति का पता लगाया है। जल्द ही व्यवस्थाएं सुधार ली जाएंगी।