नई दिल्ली. वो 2 सितंबर 2015 का दिन था जब संगीता के पति राइफलमैन शिशिर मल्ल कश्मीर के बारामूला में ऑपरेशन रक्षक के दौरान आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे. 3/9 गोरखा राइफल के शिशिर सेना की 32 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे. शहीद होने से पहले शिशिर ने एक आतंकी को मार गिराया था जबकि दूसरे को घायल कर दिया था.
शिशिर के जाने के बाद संगीता अंदर से टूट चुकी थीं और डिप्रेशन में चली गई थीं. परिवार वालों और दोस्तों के समझाने के बाद संगीता ने फिर से एकबार नई तरह से जिंदगी शुरू करने की ठानी. नई शुरुआत के लिए संगीता ने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की और उनका बैंक में सिलेक्शन हो गया.
इसी दौरान संगीता को रानीखेत में सेना के एक प्रोग्राम में शामिल होने का अवसर मिला. इस प्रोग्राम में शिशिर के दोस्तों ने संगीता को सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया और ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) में कैसे जाया जाए ये भी बताया.
सैनिक परिवार से होने की वजह से संगीता भी इसके लिए तैयार हो गई और फिर संगीता ने दिल्ली की वीर नारी कमेटी की मदद से ओटीए के लिए परीक्षा की तैयारी की. शिशिर की शहादत के लगभग तीन साल बाद अब संगीता चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में शामिल होने के लिए तैयार है.
ओटीए से ट्रेनिंग पूरी होने के बाद संगीता अपने परिवार में पहली व्यक्ति होंगी जो सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर देश को अपनी सेवाएं देंगी. संगीता की इस कामयाबी से सिर्फ उनका परिवार ही नहीं बल्कि आस-पड़ोस के लोग भी गर्व महसूस कर रहे हैं.