वेडिंग ओनली इन साऊथ दिल्ली

साऊथ दिल्ली यानी राजधानी के भीतर एक और दिल्ली। इधर के वासी अपने पुत्र-पुत्री का विवाह सिर्फ साऊथ दिल्ली में करना ही पसंद करते हैं। इन्हें साऊथ दिल्ली से बाहर जाना नामंजूर है। आप दिल्ली से छपने वाले प्रमुख अखबारों के वैवाहिक विज्ञापनों को देखें। इनमें आपको इस तरह के दर्जनों विज्ञापन मिलेंगे जिनमें बताया गया होता है कि वर या वधू के परिवार या पिता का साऊथ दिल्ली में अपनी कोठी, फ्लैट, बंगला आदि है।19_11_2016-wedding

आइये इन दो विज्ञापनों को देखें। वैश्य परिवार से संबंध रखने वाले 25/165/एमबीए स्मार्ट लड़के के लिए सुयोग्य कन्या चाहिए। लड़के के पिता का साऊथ दिल्ली की पाश कालोनी में घर है। एकऔर विज्ञापन लें। खत्री सिख परिवार की 23,5’4, गोरी, सुंदर फैशन डिजाइनर कन्या के लिए यापारी/पेशेवर वर की तलाश है। परिवार

की साऊथ दिल्ली में कोठी है।

अगर आप वैवाहिक विज्ञापनों के ताजा-तरीन कंटेंट का अध्ययन करें तो आप पाएंगे कि साऊथ दिल्ली वाले हिस्से के बांशिदों ने अपने को बाकी से अलग कर लिया है। वे जब अपनी या अपने किसी करीबी की शादी की तैयारी का श्रीगणेश करते हैं तो वे साऊथ दिल्ली के भीतर ही रहना चाहते हैं। वे बाकी से बचते हैं। उनके लिए नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम या गाजियाबाद का भी कोई मतलब नहीं है।

‘लांवा फेरे’ मैरिज ब्यूरो में सलाहकार प्रभात टंडन बताते हैं, अगर साऊथ दिल्ली में रहने वाला कोई शख्स बाहर निकलना भी चाहे तो उनके बच्चे उन्हें हतोत्साहित करते हैं। बड़ों से बढ़कर उनके बच्चे हैं। वे तो किसी भी सूरत में बाहर जाने को राजी नहीं हैं। उन कारणों पड़ताल पर रेखा वैद्य ने कहा कि साऊथ दिल्ली के यंगस्टर्स मानते हैं कि वे बाकी के मुकाबले ज्यादा ट्रेंडी है, स्मार्ट हैं। उनके साथ गैर-साऊथ दिल्ली वाले की पटरी नहीं खाएगी। यानी कोई मेल नहीं खाता। वे तो मानते हैं कि साऊथ दिल्ली की कायदे से सरहद पालम पर शुरू होती है, खत्म हो जाती है वसंत विहार पर। इसी के बीच में उन्हें लाइफ पार्टनर मिलना चाहिए।

 

ओनली साऊथ दिल्ली के विचार को लेकर प्रतिबद्ध साऊथ दिल्ली वाले जाति तथा मजहब की दीवारों को भी गिराचुके हैं। उनका नारा है, ओनली साऊथ दिल्ली। बैंड, बाजा, बरात का सीजन लौट आया है। साऊथ दिल्ली वालों ने अपने लिए कुछ अलिखित नियम लिख लिए हैं। वे शादी को लेकर इन नियमों का बड़ी शिद्दत के

साथ पालन भी करने लगे हैं। साऊथ दिल्ली वालों की ख्वाहिश रहती है, अपने लाडले या लाडली के लिए साऊथ दिल्ली की काल्पनिक दीवारों के भीतर ही आइडियल मैच तलाश करना। एक बार ‘ दुल्हन वही जो पाठक जी दिलवाएं’ मैरिज ब्यूरो की नीलम पाठक कह रही थीं, ‘साऊथ दिल्ली में रहने वाले पैरेंट्स जब अपने बेटे या बेटी के लिए मैच तलाशने निकलते हैं, तो वे साऊथ दिल्ली से निकलने के बारे में सोचते भी नहीं। ये अपने को खास समझते हैं। जाहिर है, ये अपने वैवाहिक विज्ञापनों में भी अपने साऊथ दिल्ली कनेक्शन का जिक्र करने का ख्याल रखते हैं। साऊथ दिल्ली का क्रेज मैरिज से कहीं आगे निकल गया है। लाजपत नगर की एक प्रॉपर्टी सलाहाकार काजोल माखीजानी बताती हैं, मैंने महसूस किया है कि साऊथ दिल्ली की सरकारी कॉलोनी आरके पुरम, नेताजी नगर, सरोजनी नगर, आइएनए वगैरह में रहने के बाद जब लोगों को अपना सरकारी घर खाली करना पड़ता है तो उनकी पहली कोशिश यह होती है कि वे किराए पर ही साऊथ दिल्ली में ही घर ले लें। वे दिल्ली के दूसरे भागों या एनसीआर में रहने या जाने से परहेज करते हैं। और ओनली साऊथ दिल्ली के सफर को आगे बढ़ाते हुए एक बड़ा ट्रेंड ये भी सामने आया कि जाति से जकड़े भारतीय समाज में जाति का बंधन खुलने लगता हैं जब किसी इंसान को पुनर्विवाह करना होता है।

दूसरे विवाह की चाहत रखने वाले अपने विज्ञापनों में साऊथ दिल्ली और जाति का भी उल्लेख नहीं करते। दरअसल होता यह है, चूंकि दूसरा विवाह कोई बहुत सुखद और आदर्श हालातों में तो हो नहीं रहा होता है, इसलिए अपनी धन-दौलत या साऊथ दिल्ली बताने दिखाने से बचा जाता है।

हार्ड-कोर साऊथ दिल्ली वाले भी जरूरत पडऩे पर बाहर का रुख करने में ही समझदारी समझते हैं। इस राय से प्रख्यात ज्योतिष और जन्मपत्री देखने वाले पंडित जय प्रकाश लाल धागेवाले भी इत्तेफाक रखते हैं। वे साऊथ दिल्ली की शादियों में लंबे समय से जा रहे हैं। वहां पर वे देखते हैं कि अधिकतर मामलों में वर-वधू साऊथ दिल्ली से ही हैं। ये अपवाद ही होता है जब कोई एक पक्ष साऊथ दिल्ली से बाहर का हो।

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