विद्या देवी भंडारी ने 1979 में एक वामपंथी छात्र आंदोलन से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद वह सीपीएन- यूएमएल की सदस्य बनीं. इस दौरान वे अंडरग्राउंड हो गईं और उन्होंने मोरंग जिले से पार्टी विहीन पंचायत तंत्र के खिलाफ संघर्ष किया.

कम्युनिस्ट नेता मदन भंडारी से  की थी शादी

विद्या भंडारी ने प्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेता मदन कुमार भंडारी से शादी की. 1993 में एक सड़क हादसे में मदन की संदिग्ध मौत के बाद राजनीति में विद्या की दूसरी पारी शुरू हुई. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री कृष्णप्रसाद भट्टाराई के खिलाफ चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. वह एक साल तक सांसद रहीं. उन्होंने 1994 और 1999 में लगातार दो संसदीय चुनाव भी जीते.