हर माह में दो बार एकादशी का व्रत किया जाता है। इस तिथि को भगवान विष्णु की प्रिय तिथि माना गया है। वहीं तुलसी भी विष्णु जी को अति प्रिय है। ऐसे में आप एकादशी के दिन तुलसी से जुड़े कुछ उपाय कर सकते हैं जिससे आपको प्रभु श्रीहरि की कृपा तो मिलती ही है साथ ही कई तरह की समस्याओं से छुटकारा भी मिलता है।
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकदाशि को विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2025) के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी का खास महत्व माना गया है। साथ ही यह भी माना गया है कि इस दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत और पूजा-पाठ करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
विजया एकादशी शुभ मुहूर्त (Vijaya Ekadashi Muhurat)
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारम्भ 23 फरवरी को दोपहर 01 बजकर 55 मिनट पर होगा। वहीं इस तिथि का समापन 24 फरवरी को दोपहर 01 बजकर 44 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में विजया एकादशी सोमवार, 24 फरवरी को मनाई जाएगी।
भगवान विष्णु को जरूर लगाएं भोग
भगवान विष्णु का प्रिय होने के कारण तुलसी को विष्णुप्रिया भी कहा जाता है। ऐसे में आप एकादशी के दिन पूजा के दौरान विष्णु जी को भोग लगाते समय उसमें तुलसीदल जरूर शामिल करें। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि तुलसी के बिना प्रभु श्रहरि का भोग अधूरा होता है।
इस तरह करें पूजा
विजया एकादशी पर सुबह जल्दी उठने के बाद स्नान आदि करें और इसके बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। अब देवी तुलसी को लाल चुनरी चढ़ाएं और उनके समक्ष एक देसी घी का दीया जलाएं। ऐसा करने से जातक को मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है, जिससे जीवन में रही आर्थिक परेशानियां दूर हो सकती हैं। इसी के साथ भगवान विष्णु और देवी तुलसी का भी आशीर्वाद मिलता है।
करें ये एक काम
एकादशी के दिन आप सुख-समृद्धि के लिए एक खास उपाय कर सकते हैं। इसके लिए आप विजया एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में कलावा बांध सकते हैं। इससे आपको अद्भुत लाभ देखने को मिलते हैं। साथ ही सभी तरह की समस्याएं भी धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं।
तुलसी जी के मंत्र –
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
तुलसी गायत्री – ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।
तुलसी स्तुति मंत्र –
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।