आजकल लड़कियां जल्दी ही जवान होने लगती है। युवाओं में भले ही पोर्नोग्राफी देखने का चलन बढ़ रहा हो, पर सैक्स एजुकेशन के नाम पर उन की जानकारी शून्य ही होती है। सैक्स एजुकेशन पोर्नोग्राफी से अलग होती है। इस की जानकारी टीनएज में जरूरी है। इस से लड़कियों को कई तरह की परेशानियों से बचाया जा सकता है।
सैक्स की जानकारी जरूरी:
स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. सुनीता चंद्रा कहती हैं, ‘‘ऐसी बहुत सारी घटनाएं हम लोगों के सामने आती हैं, जिन में लड़की को पता ही नहीं चलता है कि उस के साथ क्या हुआ है। इसीलिए इस बात की जरूरत है कि किशोर उम्र में ही लड़की को सैक्स शिक्षा दी जाए। घर में मां और स्कूल में टीचर इस काम को सरलता से कर सकती हैं।’’
लड़कियों को बताया जाना चाहिए कि वे किसी के साथ एकांत में न जाएं। अगर कभी इस तरह की कोई घटना घटती है तो लड़की मां को यह बता दे ताकि मां उस की मदद कर सके।’’
शारीरिक संबंधों में समझदारी:
शारीरिक संबंध बनाने से यौनरोग हो सकते हैं, जिन का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इन बीमारियों में एड्स जैसी जानलेवा लाइलाज बीमारियां भी शामिल हैं। इसलिए पेरैंट्स व टीचर्स को चाहिए कि वे घर व स्कूल में लड़कियों को गर्भनिरोधक गोलियों के बारे मेें बताएं कि इन का उपयोग कैसे और क्यों किया जाता है।
पीरियड्स में न घबराएं:
किशोर उम्र में सब से बड़ी परेशानी लड़कियों में पीरियड्स को ले कर होती है। आमतौर पर पीरियड्स आने की उम्र 12 से 15 साल के बीच की होती है। अगर इस उम्र में पीरियड्स न आए तो डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
डाक्टर सुनीता कहती हैं, ‘‘ऐसा तब होता है जब लड़की का शरीर गर्भधारण के योग्य हो जाता है, लेकिन पीरियड्स किसी कारण से नहीं आते हैं। यह नहीं सोचना चाहिए कि जब तक पीरियड्स नहीं होंगे, गर्भ नहीं ठहर सकता है।