मंगलवार की रात भाकियू जिलाध्यक्ष दिलबाग सिंह पर हुए हमले के बाद उनकी सुरक्षा में तैनात गनर विकास खेवाल की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। उनकी सुरक्षा में लगा गनर उस वक्त दिलबाग सिंह के साथ नहीं था, जब उनकी कार पर गोलियां बरसाई गईं। पुलिस का दावा है कि उसे खुद दिलबाग ने छुटटी दे दी थी। इधर, एसपी संजीव सुमन ने गनर विकास चौधरी को लापरवाही के बाद सस्पेंड कर दिया है।
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बताया जाता है कि मंगलवार की देरशाम दिलबाग सिंह की सुरक्षा में लगे गनर ने दिलबाग से उसके बेटे की तबियत खराब होने की जानकारी दी और स्वयं गोला चलाया । इसके बाद दिलबाग अपने ब्रीजा कार से अपने दो साथियों जितेंद्र व विपिन को छोड़ने भदेड़ गांव के लिए निकल पड़े। जहां से वापस आते वक्त उन पर जानलेवा हमला किया गया।
अपर पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार ने बताया कि गनर को नियमानुसार इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को देनी थी अगर उसे छुटटी चाहिए थी तो उसकी जगह कोई और गनर दिलबाग को उपलब्ध कराया जाता लेकिन गनर ने ऐसा नहीं किया जिसे घोर अनुशासन हीनता और लापरवाही माना गया है। उसे सस्पेंड कर दिया गया है और विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। एएसपी अरुण कुमार सिंह ने बताया कि खीरी जिले में सत्तर से ज्यादा गवाहों को सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है इसके अलावा खीरी, सीतापुर, बहराइच, पीलीभीत समेत कई जिलों में खीरी हिंसा के गवाहों को पूरी सुरक्षा दी जा रही है।
हमले में 315 बोर के असलहे का इस्तेमालः भाकियू जिलाध्यक्ष दिलबाग सिंह पर हुए हमले के बाद जांच पड़ताल में जुटी पुलिस ने शुरुआती तफ्तीश में हमले को 315 बोर के सलहे से होना पाया है। घटनास्थल से पुलिस को 315 बोर के दो खोखा कारतूस भी मिले हैं, जिनसे इस बात की पुष्टि होती है लेकिन तीसरा कारतूस नहीं मिला। दिलबाग के मुताबिक उन पर तीन गोलियां चलाई गईं।