लखनऊ विकास प्राधिकरण की बसंत कुंज योजना के भूखंडों की लाटरी फंस गई है। नवंबर के प्रथम सप्ताह में एलडीए ने बसंत कुंज योजना के भूखंडों का पंजीकरण खोला था। 15 दिसंबर तक लोगों को आवेदन करना था और जनवरी में लाटरी होनी थी। सब कुछ सही चला लेकिन अचानक आचार संहिता लग गई। पहले विधानसभा चुनाव हुए फिर विधानपरिषद चुनाव के कारण 12 अप्रैल तक लखनऊ विकास प्राधिकरण ने लाटरी, नीलामी और टेंडर जैसी प्रकिया रोक दी।
हालांकि चुनाव आयोग से लाटरी, नीलामी और टेंडर को रोकने और करने का कोई आदेश जारी नहीं हुआ था। अब ऐसे में आवेदनकर्ताओं द्वारा पंजीकरण धनराशि के रूप में जमा लाखों रुपये कई महीनों के लिए फंस गए हैं। आवेदनकर्ताओं का तर्क है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण सभी को ब्याज सहित धनराशि का समायोजन करे और लाटरी न निकलने पर ब्याज सहित धनराशि वापस करे, क्योंकि आवेदनकर्ताओं की धनराशि का पूरा फायदा एलडीए को मिल रहा है जो बैंक में महीनों से जमा है।
लखनऊ विकास प्राधिकरण ने बसंत कुंज योजना में 300 वर्ग मीटर के भूखंड के लिए पंजीकरण धनराशि आठ लाख छह हजार चार सौ रुपये लिए थे। इन भूखंडाें की संख्या सात थी, लेकिन आवेदन पचास के आसपास आए थे। करीब चालीस लाख से अधिक धनराशि इसी की है।
इसी तरह 200 वर्ग मीटर के भूखंड की धनराशि पांच लाख सैतिस हजार छह सौ रुपये थी। साढ़े तीन सौ लोगों ने आवेदन किया है। करीब डेढ़ करोड़ रुपये इसका बैंक में एलडीए का ब्याज बढ़ा रहा है। इसी तरह 112.5 वर्ग मीटर के भूखंड 74 थे और आवेदन एक हजार के आसपास आए थे। इसकी भी धनराशि दो करोड़ से ऊपर थी। वहीं 162 वर्ग मीटर के भूखंड की संख्या पांच थी और आवेदन 45 के आसपास थी। इसकी पंजीकरण कुल धनराशि एक करोड़ इक्कीस लाख रुपये से अधिक आई थी।
इसी तरह 72 वर्ग मीटर के भूखंड एलडीए ने सिर्फ आठ निकाले थे लेकिन आवेदन 70 के आसपास थे। इससे करीब चौहत्तर लाख से अधिक की धनराशि आ गई थी। करीब चार करोड़ के आसपास आवेदनकर्ताओं की धनराशि बैंक में ब्याज बढ़ाने का काम कर रही है।
आवेदनकर्ता एस कुमार कहते हैं कि एलडीए उन आवंटियों का पैसा जिनके भूखंड नहीं निकलेंगे, उन्हें महीनों बाद वापस करता है। करीब सात से आठ माह तक पंजीकरण धनराशि फंसी रहेगी। यह सिर्फ एलडीए की ढिलाई के कारण है। अगर चुनाव होने थे, तो लखनऊ विकास प्रधिकरण को पहले ही यह औपचारिकताएं पूरी करा लेनी चाहिए।