उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड अपने खर्चे कम करने के लिए अकसर चर्चा में रहा है। कभी मेट्रो एमडी व निदेशकों द्वारा स्वयं व परिचितों को टिकट लेकर मेट्रो में यात्रा कराना हो या फिर प्रशासनिक कार्यालय में पेपर लेस वर्क हो। इस बार लखनऊ मेट्रो ने अफसरों को मिलने वाला लीज रेंट बंद कर दिया है। लीज रेंट का खर्च औसतन हर माह करीब दस लाख आता था। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट के लिए जो टैक्सी इस्तेमाल होती थी, उसका टेंडर भी खत्म कर दिया गया है। अब पेट्रोल का पैसा मिलेगा सिर्फ। इसी तरह मेडिकल के लिए एडवांस की सुविधा भी खत्म कर दी गई है। बिल लगाइए या मेडिकल लिस्ट में शामिल अस्पतालों में इलाज करवाए।
लखनऊ मेट्रो ने अफसरों का लीज रेंट, ट्रांसपोर्ट व मेडिकल एंडवास किया खत्म
यूपीएमआरसी के एमडी कुमार केशव ने बताया कि मेट्रो अपना एक रुपये भी फालतू में खर्च नहीं करेगी। इसलिए जो कटौती की जा सकती थी, उसे करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने बताया कि आनंद नगर में अफसरों के लिए मेट्रो कालोनी बन गई है। इसलिए लीज की सुविधा टॉप टू बॉटम (लखनऊ के अफसरों की) खत्म हो गई है। इसी तरह 24 लाख रुपये किराए की टैक्सी का टेंडर खत्म करके कम किया गया।
प्रति टैक्सी औसतन 23,500 रुपये दिए जाते थे। अब कर्मचारी के पद के हिसाब से पेट्रोल का पैसा दिया जा रहा हौ जो आधे से भी कम हो गया है। सूत्रों की माने तो इससे मेट्रो को हर माह पचास से साठ लाख रुपये का खर्चा कम हुआ है।
यूपीएमआरसी के एमडी कुमार केशव ने बताया कि मेट्रो ने ट्रांसपोर्ट, मेडिकल व लीज में कटौती व खत्म की है। वेतन पूर्व की भांति मिलता रहेगा। वेतन में कोई कटौती नहीं की जाएगी।