दिल्ली में सबसे बड़ी समस्या रेहड़ी पटरी वालों की भी नज़र आती है. अक्सर दिल्ली के अलग-अलग इलाक़ों में ये देखा जाता है कि पुलिस से लेकर एमसीडी तक इन रेहड़ी पटरी वालों को अपनी जगह से हटा देती है.
इसे लेकर नॉर्थ वेस्ट दिल्ली से बीजेपी सांसद उदित राज विवादों में घिर गए हैं, आरोप है कि रेहड़ी-पटरी लगाने वालों से संगठन बनाने के नाम पर 200 रुपये लिए गए और बदले में कहा गया है कि उन्हें कोई परेशान नहीं करेगा.
उदित राज का कहना है कि, बीजेपी का अलग कलर है कांग्रेस का अलग है, आर्मी का अलग है ऐसे में हमने रेहडी- पटरी वालो को अलग रंग दे दिया है. उन्हें बिल्ला और टोपी दी गई है. जिसके बदले में उनसे दो सौ रूपये लिए हैं. सांसद कहते है कि पुलिस वाले उनसे वसूली करते है तो क्यों ना उन्हें सुरक्षा दी जाए.
जब इस मसले पर डीपीसीसी के अध्यक्ष अजय माकन से हमने बात की तो उनका कहना था की हमने रेहड़ी- पटरी वालों के लिए 2014 में एक क़ानून पास किया था. उस क़ानून के तहत दिल्ली में 5 लाख रेहड़ी- पटरी वालों को संरक्षित जगह मिलनी चाहिए. मगर ना ही राज्य सरकार और ना ही केंद्र सरकार इसे लागू कर पा रहीं है. रहड़ी- पटरी कानून जो कांग्रेस ने पास किया है उसे तुरंत लागू किया जाए.
दिल्ली में 5 लाख रेहड़ी-पटरी वाले
दिल्ली में क़रीब 5 लाख रेहड़ी -पटरी वाले अलग- अलग इलाक़ों में दुकान लगाते हैं. इसे लेकर कांग्रेस ने 2014 में एक क़ानून बनाया, जिसमें कहा गया कि उन्हें एक संरक्षित जगह दी जाए जिसमें वो अपनी दुकान लगा सकें. मगर आज तक रेहड़ी- पटरी वालों का कुछ नहीं हो पाया. इन लोगों का रोज़गार इसी से चलता है. इन्हें कहीं भी कोई भी हटा देता है. कभी दिल्ली पुलिस हटा देती है तो कभी एमसीडी, मगर कांग्रेस का कहना है की अगर इस क़ानून को लागू किया जाए तो इस समस्या का समाधान हों सकता है.