रूस के इस मिसाइल सिस्टम से मिलेगा भारतीय हवाई सीमा को सुरक्षाकवच
रूस के इस मिसाइल सिस्टम से मिलेगा भारतीय हवाई सीमा को सुरक्षाकवच

रूस के इस मिसाइल सिस्टम से मिलेगा भारतीय हवाई सीमा को सुरक्षाकवच

नई दिल्ली। भारत जल्‍द ही अपनी सीमाओं के साथ अपने आकाश को भी सुरक्षा कवच से सुरक्षित कर देगा। भारत के ये सुरक्षाकचव उन घातक मिसाइलों के रूप में हैं जो या तो देश की सेनाओं में शामिल हो चुके हैं या फिर आने वाले समय में शामिल हो जाएंगे। इन्‍हीं में से एक रूस की एस-400 ट्रंफ, जिसके लिए भारत रूस से बात करने वाला है।

रूस के इस मिसाइल सिस्टम से मिलेगा भारतीय हवाई सीमा को सुरक्षाकवच

यदि इस सौदे को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत बन जाती है तो यह हालिया समय की सबसे बड़ी डील होगी। आपको यहां पर यह भी बता दें कि इससे पहले भारत ने रूस से सुखाई 30 एमकेआई लड़ाकू विमानों की डील करीब 12 बिलियन डॉलर में की थी। इसके अलावा आईएनएस विक्रमादित्‍य एयरक्राफ्ट करियर की डील करीब 23 बिलियन में हुई थी। वही दो बिलियन डॉलर की डील मिग 29 के की हुई थी जो इस विमानवाहक युद्धपोत से उड़ान भर सकेंगे।

गेम चेंजर है ट्रंफ

एस-400 ट्रंफ न सिर्फ काफी घातक मिसाइल सिस्‍टम है बल्कि तकनीक के हिसाब से देखा जाए तो इसके मुकाबले में कई देश कहीं नहीं ठहरते हैं। इसका वार अचूक है। इस मिसाइल सिस्‍टम को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी और रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन के बीच वर्ष 2016 में बातचीत हुई थी। यह बातचीत गोवा में ब्रिक्‍स सम्‍मेलन के दौरान हुई थी। इसको लेकर सबसे पहले वर्ष 2015 में उस वक्‍त बात सामने आई थी जब डिफेंस एक्‍वेजिशन काउंसिल डीएसी ने इस मिसाइल सिस्‍टम को बड़ा गेम चेंजर सिस्‍टम करार दिया था। इसके अलावा उस वक्‍त यह भी कहा गया था कि यह मिसाइल सिस्‍टम भारत के एयर डिफेंस सिस्‍टम को भी काफी पुख्‍ता करेगा। दिसंबर 2015 में इसको डीएसी ने क्लियर कर दिया था। जिसके बाद दोनों राष्‍ट्राध्‍यक्षों के बीच बातचीत हुई थी।

काफी अहम है ट्रंफ मिसाइल सिस्‍टम

2016 के दौरान हुई इस बातचीज में पांच ट्रंफ के अलावा चार ग्रीगोरिच क्‍लास फ्राइगेट और 200 कामोव-226टी लाइट हैलीकॉप्‍टर के साथ एक न्‍यूक्लियर सबमरीन को करीब साढ़े दस बिलियन डॉलर की लागत से लीज पर लेने पर सहमति हुई थी। एस-400 ट्रंफ की ही यदि बात करें तो यह युद्ध के समय में और दुश्‍मन की मिसाइल को बीच में ही नष्‍ट करने में सक्षम है। यह मिसाइल सिस्‍टम लॉन्‍ग रेंज राडार सिस्‍टम से भी लैस है जो 100-300 किमी तक की रेंज में दुश्‍मन की मिसाइल को पहचान कर इसको नष्‍ट कर सकता है। यह एक सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक मिसाइल है जिसका प्रमुख काम दुश्‍मन की मिसाइल को इंटरसेप्‍ट कर उसको नष्‍ट करना है। भारत और रूस के बीच इस मिसाइल को लेकर ऐसे समय में बातचीत शुरू होने वाली है जब इस मिसाइल सिस्‍टम की बैटरी की सप्‍लाई चीन की तरफ की जा रही है। यह सौदा नाटो और चीन के बीच वर्ष 2014 में हुआ था, जो करीब 3 बिलियन डॉलर का था।

54 माह में रूस सौंपेगा पूरा सिस्‍टम

एस-400 ट्रंफ मिसाइल का सौदा करीब 39 हजार डॉलर का है। इस मिसाइल सिस्‍टम की एक खासियत यह भी है यह तीस किमी की ऊंचाई पर चार सौ किमी के दायरे में दुश्‍मन की मिसाइल को नष्‍ट कर सकती है। दोनों देशों के बीच इस डील के फाइनल होने के बाद रूस इसको करीब दो वर्षों के भीतर डिलीवर कर देगा। एस-400 ट्रंफ मीडियम रेंज बैलेस्टिक मिसाइल से लैस होगा। क्रूज मिसाइल के अलावा इन मिसाइलों की डिलीवरी रूस की तरफ से 54 माह में होगी। इसमें कोई शक नहीं है कि इस मिसाइल के भारतीय सेना में शामिल होने के बाद देश की हवाइ्र सीमाएं और सुरक्षित हो जाएंगी। साधारण शब्‍दों में यह कहा जाएगा कि इस मिसाइल सिस्‍टम की पहली यूनिट को रूस दो वर्षों में और पूरी डील की डिलीवरी को वह 54 माह में करेगा। यह इसलिए भी बेहद खास है क्‍योंकि हाल ही में भारत ने बराक मिसाइल की खरीद को भी हरी झंडी दे दी है।

ये हैं दूसरी घातक मिसाइल

भारत की हवाई सुरक्षा को अभेद्य बनाने में कुछ दूसरी मिसाइल भी अहम भूमिका निभाएंगी। इनमें आकाश-1, स्‍पाइडर शामिल हैं। आकाश-1 की यदि बात की जाए तो इसको भारतीय वायुसेना में शामिल किया जा चुका है। इसके अलावा इसको थल सेना में इस वर्ष शामिल कर लिया जाएगा। इसके अलावा स्‍पाइडर इजरायल द्वारा तैयार किया गया क्विक रिएक्‍शन मिसाइल सिस्‍टम है। डीआडीओ इसके विकास में जुटा हुआ है। बराक मिसाइल भी इजरायल का ही प्रोडेक्‍ट है। बराक-1 सिस्‍टम को पहले ही नौसेना के युद्धपोतों पर तैनात कर दिया गया है। इनकी रेंज 9 किमी की है। इसके अलावा इसको फ्रंटलाइन वारशिप और वायुसेना में भी शामिल किया जाएगा। इस मिसाइल की रेंज 70 किमी है।

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