रिपोर्ट कहती है कि पिछले एक पखवारे में गौशाला की 28 मवेशी चारे के अभाव में मौत के गाल में समा गए हैं और गौशाला संचालकों ने चुपचाप गौशाला के ही जमीन में उन्हें दफना दिया है.
गौशाला संचालकों ने इसके लिए जिला प्रशासन और सरकार को दोषी ठहराया हैं. उनका कहना है कि इस बारे में पत्र लिखकर चारा और भूसा उपलब्ध कराने के लिए गुहार लगाई है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
गौरतलब है जिले के छुट्टा जानवरों के संरक्षण के लिए गांव के बाहर कुछ लोगों ने आपस में मिलकर एक गौशाला की व्यवस्था की थी. बताते हैं कुछ दिन तो सब कुछ ठीक-ठाक चला, लेकिन गौशाला संचालन में कुछ लोगों द्वारा आर्थिक सहयोग बंद कर देने से गौशाला में चारा का संकट गहरा गया
हालांकि गौशाला संचालकों ने स्थानी लोगों की मदद से कुछ दिन तक पशुओं के लिए चारा और भूसा खाने की व्यवस्था की, लेकिन पिछले 15 दिनों में 28 गायों की मौत के बाद मामला गंभीर हो गया है, जिसको देखते हुए अब जिलाधिकारी ने जिला पशु चिकित्सा अधिकारी को जांच के निर्देश भी दे दिए हैं.
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