मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार के तीन और फैसले रद्द कर दिए हैं। पहले फैसले में नगर निकायों की नियुक्तियों के अधिकार को सरकार ने बहाल कर दिया है। इससे नगर निगमों में महापौर, नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों में अध्यक्ष के नियुक्ति के अधिकार पूर्ववत बने रहेंगे। वहीं, पूर्ववर्ती सरकार के सात विद्यालयों के प्रांतीयकरण के फैसले को भी कैबिनेट ने रद्द कर दिया है। इसी तरह वाहनों में स्पीड नियंत्रित करने के लिए वेंडर के जरिए ही स्पीड गवर्नर लगाने की बाध्यता भी कैबिनेट ने खत्म कर दी है।
सरकारी प्रवक्ता व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि पिछली सरकार ने यूपी नगर पालिका अधिनियम 1916 और यूपी नगर निगम अधिनियम 1959 में संशोधन करने के लिए यूपी नगरीय स्वायत्त शासन विधि संशोधन अध्यादेश-2016 को मंजूरी दी थी। सरकार ने इस अध्यादेश को राज्यपाल को मंजूरी के लिए भेजा था। राज्यपाल ने इसे राष्ट्रपति को भेजा था।
केंद्र सरकार ने इस अध्यादेश को 74वें संविधान संशोधन की मूल भावना के विपरीत होने की बात कही। इस अध्यादेश से निकायों से नियुक्तियों का अधिकार ले लिया गया था। लेकिन मंगलवार को प्रदेश कैबिनेट ने इस अध्यादेश को वापस लेने की मंजूरी दे दी। इससे नगर निकायों की नियुक्तियों के अधिकार बहाल हो गए हैं।
केंद्र सरकार ने इस अध्यादेश को 74वें संविधान संशोधन की मूल भावना के विपरीत होने की बात कही। इस अध्यादेश से निकायों से नियुक्तियों का अधिकार ले लिया गया था। लेकिन मंगलवार को प्रदेश कैबिनेट ने इस अध्यादेश को वापस लेने की मंजूरी दे दी। इससे नगर निकायों की नियुक्तियों के अधिकार बहाल हो गए हैं।
दूसरा फैसला: सात विद्यालयों के प्रांतीयकरण का फैसला भी रद्द
अखिलेश सरकार के निजी प्रबंधतंत्र द्वारा संचालित छह वित्तविहीन स्कूलों व हाईस्कूल तक अनुदानित एक विद्यालय के प्रांतीयकरण को लेकर 23 दिसंबर 2016 को जारी शासनादेश को भी कैबिनेट ने रद्द कर दिया है। शर्मा ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग में प्रांतीयकरण की कोई नियमावली नहीं है। इसके अलावा इन विद्यालयों में शिक्षक व शिक्षणेतर कर्मियों के चयन की कोई मान्य प्रक्रिया भी नहीं है।
इससे गुणवत्तापरक शिक्षा प्रभावित होने की आशंका थी। इन स्कूलों में बीएस इंटर कॉलेज कुआखेड़ा खालसा ठाकुदरद्वारा मुरादाबाद, श्रीमती दुर्गिया अली पब्लिक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय काजमपुर बिजनौर, खूबीराम स्मारक इंटर कालेज इकरीकला हाथरस, किरन देवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भुवनपुर कासगंज, मातेश्वरी सोनकली देवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चंद्राडीह बलिया, श्रीमती विमला देवी इंटर कॉलेज चाचरमऊ एटा व शारदा सहायक परियोजना इंटर कॉलेज गिरिजापुरी बहराइच शामिल हैं।
तीसरा फैसला: वेंडर के जरिए स्पीड गवर्नर लगाने की बाध्यता खत्म
प्रदेश कैबिनेट ने अखिलेश सरकार के एक और फैसले को पलटते हुए वाहनों में स्पीड नियंत्रित करने के लिए पुराने वाहनों में किसी संस्था के जरिए ‘स्पीड गर्वनर’ लगाने की बाध्यता की व्यवस्था खत्म कर दी है। अब कोई भी व्यक्ति मनचाहे स्थान से अपने वाहन में यह उपकरण लगवाने के लिए स्वतंत्र होगा। परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछली सरकार के फैसले से चयनित वेंडर के जरिए ही वाहनों में स्पीड गर्वनर लगवाने की बाध्यता थी। अब योगी सरकार ने सिर्फ स्पीड गर्वनर लगाने के लिए मानक तय करने का फैसला किया है। वाहन स्वामी बाजार से मानक के मुताबिक स्पीड गर्वनर लगवाने को स्वतंत्र होगा।
चौथा फैसला: शहीद सैनिकों व अर्धसैनिक बलों के आश्रितों को सरकार देगी नौकरी
योगी सरकर ने एक अहम कदम उठाते हुए यूपी के मूल निवासी शहीद सैनिकों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति देने का फैसला किया है। यह लाभ थल, जल व नभ सेवा व अर्धसैनिक बलों में कार्यरत रहते हुए कर्तव्यपालन के दौरान शहीद होने वाले सैनिकों के आश्रितों को मिलेगा। यह व्यवस्था एक अप्रैल 2017 से लागू मानी जाएगी।
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि यह फैसला शहीदों के बलिदान के प्रति राज्य सरकार की कृतज्ञता होगी। शहीद सैनिकों के आश्रितों को सरकारी सेवा में लिए जाने के लिए प्रक्रिया तय कर दी गई है। यह सुविधा पूर्व से मिल रही सुविधा या सहायता के अतिरिक्त होगी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में विभागवार रोस्टर बनाने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक हाईपावर कमेटी बनाई जाएगी। इसमें विभिन्न विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव या सचिव शामिल होंगे। सशस्त्र सैनिक बलों के लिए सैनिक कल्याण विभाग व अर्धसैनिक बलों के लिए गृह विभाग नोडल विभाग होगा।
पांचवां फैसला:आवासहीनों के लिए बनेंगे 25 हजार मकान
प्रदेश में प्राकृतिक आपदा और गरीबी के कारण बेघर परिवारों और जीर्ण-शीर्ण घरों में रह रहे गरीबों को मुख्यमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत मकान दिए जाएंगे। अगले वित्तीय वर्ष में 25 हजार चयनित परिवारों को आवास के लिए आर्थिक मदद दी जाएगी। योगी सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट बैठक में इस योजना को मंजूरी दे दी।
प्रस्तावित योजना में 25 वर्ग मीटर के आवास बनाए जाएंगे। इसमें रसोई घर भी बनाना होगा। राज्य सरकार की ओर से प्रत्येक आवास पर 1.20 लाख रुपये तीन किश्तों में दिए जाएंगे। नक्सल प्रभावित चंदौली, मिर्जापुर और सोनभद्र में 1.30 लाख रुपये दिए जाएंगे। लाभार्थियों को मनरेगा से 90 दिन की मजदूरी भी दी जाएगी।
वहीं, नक्सल प्रभावित जिलों में 95 दिन की मजदूरी देने का प्रावधान किया गया है। इन आवासों में शौचालय का निर्माण स्वच्छ भारत मिशन के तहत कराया जाएगा। लाभार्थियों को स्वयं 12 महीने में आवास का निर्माण करना होगा। योजना में चयनित परिवारों के अतिरिक्त अन्य परिवारों को योजना का लाभ दिलाने के लिए मुख्यमंत्री को विशेषाधिकार दिया गया है।
ये होंगे पात्र
बाढ़ से बेघर हुए परिवार, कालाजार से प्रभावित परिवार, वनटांगिया और मुसहर वर्ग के परिवार, जापानी इंसेफेलाइटिस से पीड़ित परिवारों को योजना के दायरे में रखा गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में शामिल न हुए ऐसे करीब 25 हजार परिवारों को इस योजना के तहत आवास उपलब्ध कराए जाएंगे।
छठवां फैसला: राष्ट्रीयकृत पाठ्यपुस्तकों की मुद्रण व प्रकाशन नीति 2018-19 को मंजूरी
बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों को मिलने वाली पाठ्यपुस्तकें पल्प पेपर पर छपेंगी। इसके लिए कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीयकृत पाठ्यपुस्तकों की मुद्रण व प्रकाशन नीति 2018-19 को मंजूरी दे दी।
हालांकि पाठ्यपुस्तकों की प्रकाशन व मुद्रण नीति में शेष नियम व शर्र्तें 2016-17 व 2017-18 की नीति के समान ही रहेंगी। सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि आगामी शैक्षिक सत्र में पल्प पेपर पर छपी किताबें वितरित की जाएंगी। साथ ही बताया कि पहले फरवरी में नीति को मंजूरी दी जाती थी, इस बार सरकार ने जनवरी में नीति को मंजूरी दी है।
सातवां फैसला: ओएफसी बिछाने व टावर लगाने के लिए जमा करना होगा प्रशासनिक शुल्क
सरकार ने नगर निकाय सीमा क्षेत्र में भूमिगत ‘अप्टिकल फाइबर केबल’ (ओएफसी) बिछाने के लिए सड़क की खुदाई करने से पहले ही संबधित संस्था को आवेदन के साथ प्रशासनिक शुल्क जमा करना होगा। सरकार ने प्रति किलोमीटर 1000 रुपये की दर से प्रशासनिक शुल्क तय किया है।
इसी तरह मोबाइल टावर लगाने के लिए भी प्रति टावर 10, 000 रुपये की दर से प्रशासनिक शुल्क जमा करना होगा। इसके बाद ही ओएफसी बिछाने व टावर लगाने की अनुमति दी जाएगी। नगर विकास विभाग के इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
आठवां फैसला: अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी बायोमीट्रिक के बाद मिलेगा सस्ता राशन
अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी उचित दर की दुकानों से गरीबों को मिलने वाला खाद्यान्न बिना बायोमीट्रिक के नहीं मिलेगा। मंगलवार को कैबिनेट ने जून 2018 तक सभी उचित दर की दुकानों में ई पॉज मशीन लगाने को मंजूरी दे दी है। इससे वितरण व्यवस्था की ऑनलाइन मानीटरिंग भी की जा सकेगी। पहले दो चरण में शहरी क्षेत्रों की 13144 उचित दर की दुकानों को इन मशीनों से लैस किया गया था। अब ग्रामीण क्षेत्रों की 67628 दुकानों में भी ये मशीनें लगाई जाएंगी।
नवां फैसला: बलिया जिले के रसड़ा में विद्युत उपकेंद्र बनाने को मंजूरी
सरकार ने बलिया जिले के रसड़ा में 400 केवी क्षमता के ट्रांसमिशन उपकेंद्र स्थापित करने को मंजूरी दे दी है। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि इससे 24 घंटे बिजली आपूर्ति की सरकार के प्रयास को गति मिलेगी। इस प्रोजेक्ट पर 424.06 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। पावर ट्रांशमिशन कार्पोरेशन को यह काम सौंपा गया है। 30 महीने में उपकेंद्र का काम पूरा करना होगा।