योगी आदित्यनाथ के मंत्री नंदी के खिलाफ लोग आक्रोशित, इलाहाबाद में तहरीर
योगी आदित्यनाथ के मंत्री नंदी के खिलाफ लोग आक्रोशित, इलाहाबाद में तहरीर

योगी आदित्यनाथ के मंत्री नंदी के खिलाफ लोग आक्रोशित, इलाहाबाद में तहरीर

शाहजहांपुर। सरकार की नौनिहालों को बुनियादी तालीम बेहतर ढंग से मुहैया कराने की मंशा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही हैं। यहां प्राथमिक विद्यालयों में पढऩे वाले बच्चों को रिजल्ट कार्ड वितरित करने में भी लाखों का गोलमाल हो गया। नियमों को ताक पर रखकर रिजल्ट कार्ड व अन्य सामग्री एक चहेती संस्था के जरिये प्रकाशित कराई गई। हद तो यह है कि शैक्षिक सत्र समाप्त होने के बाद यह संस्था सामग्री मुहैया करा सकी। ऐसे में बच्चों को रिजल्ट कार्डों का वितरण किस तरह से किया गया? इस पर जांच बैठा दी गई है। इस साल रिजल्ट कार्ड प्रकाशित कराने के लिए फाइल डीएम अमृत त्रिपाठी के पास पहुंची तो तब यह मामला प्रकाश में आ सका। डीएम ने जांच के आदेश कर दिए हैं।योगी आदित्यनाथ के मंत्री नंदी के खिलाफ लोग आक्रोशित, इलाहाबाद में तहरीर

क्या है यह मामला : राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2016-17 में बेसिक शिक्षा विभाग को छात्र प्रोफाइल, सीसीई कार्ड तथा सीसीई गाइड लाइन (प्रगति पत्र) प्रकाशित कराने का आदेश दिया था। जिसके मद्देनजर बेसिक शिक्षा विभाग ने निविदा प्रक्रिया शुरू की थी। साथ ही इस बाबत पांच सदस्यीय कमेटी भी गठित की गई थी। कई संस्थाओं ने निविदा डाली थीं, लेकिन उसे निरस्त कर दिया गया था। इतना ही नहीं, 1976 में जारी शासकीय पत्र का हवाला देते हुए पंचायती उद्योग सरोजनीनगर लखनऊ नामक संस्था को सीधे उक्त सामग्री प्रकाशित करने का ठेका दे दिया गया था।

पिछले साल दिसंबर में उक्त संस्था को सामग्री प्रकाशित करना था, लेकिन उक्त संस्था ने सामग्री प्रकाशित कर मई माह में सप्लाई दी। जबकि इससे पहले ही शैक्षिक सत्र समाप्त हो गया था। जाहिर है कि सामग्री छपवाने में विभाग का लाखों रुपये बर्बाद हो गया। विभागीय दस्तावेज में यह सामग्री प्रकाशित कराने के लिए विभाग ने 45 लाख 48 हजार 415 रुपये का भुगतान किया था।

ऐसे उजागर हुआ मामला : दरअसल, बीएसए ने इस साल रिजल्ट प्रकाशित कराने के लिए फाइल डीएम अमृत त्रिपाठी के पास भेजी थी। इसमें तकरीबन साठ लाख रुपये का स्टीमेट तैयार किया गया था। डीएम ने पिछले साल का रिकार्ड तलब किया तो संबंधित अधिकारियों ने खुद को बचाने के लिए मामले के बारे में उन्हें बता दिया। जांच में तत्कालीन अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। बेसिक शिक्षा विभाग में रिजल्ट कार्ड छपवाने की प्रक्रिया में नियमों और कायदों की जानबूझकर अनदेखी की गई। शैक्षिक सत्र समाप्त होने के बाद रिजल्ट कार्ड मुहैया कराना गंभीर है। प्रकरण की जांच एडीएम प्रशासन को सौंपी है।

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