डिप्टी सीएम का निर्देश यूपी में बनेगा महिला विश्वविद्यालय

उपमुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा है कि सरकार प्रदेश में महिला विश्वविद्यालय बनाने पर विचार कर रही है। जिसमें कुलपति से शिक्षक तक महिलाएं होंगी। इससे पहले सरकार देश के महिला विश्वविद्यालयों के मॉडलों का अध्ययन करेगी। साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि वो बच्चों की सुरक्षा के लिए नियमावली बनाएंगे।
डिप्टी सीएम का निर्देश यूपी में बनेगा महिला विश्वविद्यालयडॉ. दिनेश शर्मा शिक्षा के क्षेत्र में सरकार के छह महीने के काम से संतुष्‍ट है क्योंकि इस दौरान वे प्रदेश के शिक्षा जगत की साख लौटाने में काफी हद तक सफल रहे हैं। वे कहते हैं कि पठन-पाठन का माहौल बना है। छात्रों और शिक्षकों की सुविधाओं पर ध्यान दिया गया है। हालांकि यह पूर्ण नहीं है लेकिन लोगों को आगे और अच्छा होने की उम्मीद देने वाला जरूर है। इसमें वो शिक्षकों और अधिकारियों का भी योगदान मानते हैं। उनका मानना है कि शुरुआत अच्छी हुई है तो आगे भी सब अच्छा ही होगा।

वे निजी स्कूलों के प्रबंधन को कॉलेज चलाने लायक फीस वसूलना तो जायज मानते हैं, लेकिन यह संकल्प भी है कि वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों को आज की तुलना वेतन भी ठीक मिले। अभिभावकों का शोषण न हो। अल्पसंख्यक संस्‍थानों को वे स्वतंत्रता देने के पक्षधर हैं, पर मनमानी करने की छूट नहीं। कहते हैं कि भाई-भतीजों का नाम रजिस्टर में लिखकर सरकारी धन की लूट की छूट नहीं दी जा सकती। वे प्रदेश सरकार के छह माह पूरे होने पर अमर उजाला के संवाद कार्यक्रम में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे।

सवाल : स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?

जवाब : एक नियमावली बनाने का प्रस्ताव है। बच्चों व अभिभावकों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर शुरू करने पर भी विचार किया जाएगा। किसी भी तरह की शिकायत होने पर बच्चे और अभिभावक इस नंबर को डायल कर जानकारी दे सकेंगे। स्कूल परिसर और स्कूल व घर के बीच के रास्ते में बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर है।

सवाल : क्या बच्चों की सुरक्षा को जीपीएस सिस्टम लागू होगा?

जवाब :  जीपीएस सिस्टम वाली घड़ी और अन्य उपायों के बारे में जो भी सुझाव आएं हैं, उन पर विचार किया जाएगा। बच्चों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।

सवाल : क्या राज्यस्तर पर भी नैक जैसी एजेंसी बनाएंगे?
जवाब :: नैक की तर्ज पर राज्य में भी स्टेट एसेसमेंट एक्रीडिएशन काउंसिल बनाने पर विचार किया जा रहा है। यह काउंसिल राज्य सरकार को विश्वविद्यालयों की कमियों के बारे में बताएगी। इसकी जिम्मेदारी विशेष सचिव उच्च शिक्षा को सौंपी गई है। क्वालिटी एश्योरेंस सेल व सेंटर फॉर एक्सीलेंस सेल बनाने पर भी विचार होगा।

सवाल : स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई के घंटे बढ़ाएंगे?
जवाब : पढ़ाई के घंटों को लेकर दो मत आ रहे हैं। एक, बढ़ाने कहा है तो कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पढ़ाई के घंटे ज्यादा होने से विद्यार्थियों का शारीरिक व मानसिक विकास नहीं हो पाता। इस बारे में अभिभावकों, प्रबंधकों और विशेषज्ञों से वार्ता करके उचित निर्णय लिया जाएगा।

सवाल : कमजोर बच्चों के लिए अलग से क्लासेज सिर्फ कागजों पर ही लग रहे हैं? सरकार कैसे रोकेगी?
जवाब : यह मामला मेरी जानकारी में है। पढ़ाई के घंटे तय होने पर इस बाबत भी ठोस नीति बना पाएंगे।

सवाल: शिक्षा विभाग के निर्णयों में निजी स्कूल-कॉलेजों का प्रबंधन भागीदार क्यों नहीं बनाया जाता?
जवाब : सुझाव अच्छा है। अमल भी शुरू किया है। शुल्क नियंत्रण के लिए बनाई गई समिति में निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है।

सवाल:  शुल्क वसूली में मनमानी पर नियंत्रण कब तक लगा जाएगा?
जवाब : शुल्क वसूली को नियम-कानूनों के दायरे में लाने के लिए नियमावली तैयार करवा रहे हैं। यूपी बोर्ड के अलावा सीबीएसई और आईसीएसई के स्कूलों को भी इस नियमावली के दायरे में लाया जाएगा। प्रस्तावित नियमावली को वेबसाइट पर अपलोड करके उस पर आम लोगों के सुझाव भी मांगे जाएंगे। अभिभावकों का शोषण नहीं होने देंगे। पर, यह भी ध्यान रखेंगे कि स्कूलों के रोजमर्रा के खर्चे पूरा होने में भी दिक्कत न आए। समिति के स्तर से नियमावली फाइनल होने के बाद उसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

सवाल : शिक्षा क्षेत्र में बढ़ रही व्यावसायिकता पर कैसे काबू पाएंगे?
जवाब : निजी स्कूलों के खर्चे फीस वसूलकर ही पूरे होंगे। लेकिन, अगर प्रबंधन फैक्ट्री लगाने के लिए स्कूल से कमाई करना चाहेगा, तो ऐसा नहीं करने दिया जाएगा।

सवाल: पर, इससे प्रबंधन में भय तो व्याप्त नहीं हो जाएगा?
जवाब :  बिल्कुल भी नहीं। हमारा उद्देश्य किसी को आतंकित करना नहीं है। मंशा सिर्फ अभिभावकों के शोषण को रोकना और पढ़ाई की गुणवत्ता बनाए रखना है।

सवाल: आप बार-बार ‘सुखी मन शिक्षक’ का नारा देते हैं। इसे कैसे करेंगे?
जवाब :  उच्च शिक्षा से यह काम शुरू किया है। स्थानांतरण की ऑन लाइन व्यवस्था कर दी है। एक फॉर्मूला बनाकर शिक्षकों को अपना ट्रांसफर खुद करने का अधिकार दिया गया है। व्यवस्था की गई है कि शिक्षकों के सभी देयों का समय से भुगतान हो जाए। फंड, ग्रेच्युटी और पेंशन आदि की समय सीमा निर्धारित करने और उसके पालन के लिए सिटीजन चार्टर भी ला रहे हैं। इसके अलावा तनाव मुक्त छात्र और गुणवत्तापरक शिक्षा व्यवस्था भी हमारा लक्ष्य है।

सवाल : शिक्षा की गुणवत्ता के लिए क्या कर रहे हैं?
जवाब : माध्यमिक शिक्षा में 70 फीसदी एनसीईआरटी का कोर्स लागू करेंगे। शेष 30 फीसदी कोर्स प्रदेश स्तर पर तय करेंगे। इसमें वैदिक गणित, आयुर्वेद और गौरवशाली इतिहास जैसे विषय समाहित होंगे। दीन दयाल उपाध्याय मॉडर्न स्कूल भी शुरू करेंगे, जिसमें स्मार्ट क्लासेज की व्यवस्था होगी। कुछ राजकीय स्कूल भी मॉडल स्कूल के रूप में विकसित करेंगे। लखनऊ में इस योजना के तहत राजकीय जुबली कॉलेज को चुना है।

सवाल: उच्च शिक्षा में सुधार के लिए क्या योजना है?
जवाब : दीनदयाल शोध पीठ की स्थापना करेंगे। डिग्री कॉलेजों के परिसरों को वाई-फाई सुविधा से लैस करेंगे। अधिकाधिक ई-लाइब्रेरी की स्थापना कराने का संकल्प है।

सवाल: क्या शिक्षकों और छात्रों की बायोमीट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य करेंगे?
जवाब : माध्यमिक शिक्षक संघ के नेताओं से बात करके नीति तैयार कराएंगे। फिर इस बारे में सरकार कोई फैसला करेगी। उच्च शिक्षा में भी इसे लागू करने पर संबंधित पक्षों से बात करनी होगी।

सवाल: पब्लिक स्कूलों और कोचिंग सेंटरों के गठजोड़ से हो रहे शोषण को कैसे रोकेंगे?
जवाब : यह समस्या पहली बार मेरे सामने आई है। विचार के बाद समुचित कार्रवाई की जाएगी।

सवाल: स्कूलों में क्या पैनल इंस्पेक्शन शुरू कराएंगे?
जवाब : जल्द तैयारी करके सुझाव को लागू करने का प्रयास करेंगे।

सवाल: एडेड विद्यालयों को आरटीई के तहत एडमिशन पाने वाले विद्यार्थियों की फीस का भुगतान नहीं होता?
जवाब : समस्या लिखित में दे दें। विचार-विमर्श के बाद ही इस मुद्दे पर कोई निर्णय ले पाएंगे।

सवाल: वित्तविहीन स्कूलों के शिक्षकों के कल्याण को भी कुछ करेंगे।
जवाब : व्यवस्था कर रहे हैं कि स्कूल प्रबंधन जितनी फीस बढ़ाए, उसी अनुपात में शिक्षकों की तनख्वाह भी बढ़े। इन शिक्षकों के लिए सरकार जल्दी ही नियमावली बनाने जा रही है।

सवाल : भर्ती के बजाय रिटायर शिक्षकों को रखने का क्या औचित्य है?
जवाब : रिक्त पदों पर स्थायी शिक्षक ही रखे जाएंगे। शीघ्र विज्ञापन निकालकर प्रक्रिया पूरा करने का प्रयास करेंगे। सेवानिवृत्त शिक्षक तब तक के लिए रखे जाएंगे जब तक भर्तियां नहीं हो जातीं।

सवाल: पुरानी पेंशन नीति को क्यों नहीं लागू करते?
जवाब : 13 साल बाद जो नीति समाप्त हो चुकी है, उस पर विचार करना, गड़े मुर्दे उखाड़ने जैसा है। हम नई पेंशन नीति की विसंगतियों को दूर करेंगे।

सवाल: शिक्षकों और दूसरे लोगों की अर्जियों की ट्रैकिंग के लिए जिलों में क्यों व्यवस्था नहीं है?
जवाब : सरकार इस बारे में विचार करेगी।

सवाल: नकलविहीन परीक्षा के लिए सरकार क्या कदम उठाएगी?
जवाब : विषम परिस्थितियों को छोड़कर बालकों की परीक्षा के लिए स्वकेंद्र नहीं बनेंगे। कोई विकल्प न होने पर ही स्वकेंद्र बनेगा। बालिकाओं को जरूर इससे छूट रहेगी। परीक्षा केंद्र उन्हीं स्कूलों को बनाया जाएगा, जहां सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे। बाहर से नकल कराने वाले कहीं मिले तो अब प्रबंधन के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होगी।

सवाल: लखनऊ विश्वविद्यालय को मान्यता देने वाला विश्वविद्यालय बनाकर प्रतिष्ठा क्यों गिराई जा रही है?
जवाब : अभी तक यह समस्या हमारी जानकारी में नहीं थी। रेजिडेंसियल यूनिवर्सिटी का एफिलिएटिंग यूनिवर्सिटी में तब्दील होकर रह जाना उचित नहीं है। पर, इस बारे में मैं कोई भी आश्वासन परिस्थितियों का मूल्यांकन करने के बाद ही दूंगा।

सवाल : अल्पसंख्यक संस्थानों में अंकुश लगाना क्या उचित है?
जवाब : अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को भी पैसा सरकार देती है। पर, इनमें नियुक्तियों की कोई पारदर्शी व्यवस्था नहीं है। प्रबंधक अभी अपने रिश्तेदारों को शिक्षण संस्थानों में नौकरी दे देते हैं। इस कारण कई अल्पसंख्यक संस्थाओं में गुणवत्तापरक शिक्षा नहीं मिल पा रही है। ऐसे में सरकार इन संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति में पारदर्शी व्यवस्था करने जा रही है। हमारे पास आई शिकायतों में 99 प्रतिशत अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में भर्ती से जुड़ी हैं।

इन विशेषज्ञों ने डिप्टी सीएम से पूछे सवाल-
अतुल कुमार, रिटायर्ड आईएएस, पूर्व विशेष सचिव (शिक्षा)
-शशि किरण त्रिपाठी, रिटायर्ड उप निदेशक, शिक्षा
-अजय कुमार सिंह, महासचिव उत्तर प्रदेश माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा
-डॉ. जेपी मिश्रा, संरक्षक उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद
-ख्वाजा फैजी यूनुस, इरम एजुकेशनल सोसाइटी
-सर्वेश गोयल, जीडी गोयनका स्कूल
-भूपेंद्र सिंह, अभिभावक, स्प्रिंग डेल स्कूल
-अजय श्रीवास्तव, अभिभावक, स्प्रिंग डेल स्कूल
-डॉ. मुकुल श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष, पत्रकारिता एवं जन संचार विभाग लविवि
-प्रो. निशि पांडेय, पूर्व विभागाध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग, एलयू
-डॉ. देवेंद्र गर्ग, प्रिंसिपल, टेक्निकल इंटर कॉलेज

 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com