पूर्व वित्तमंत्री और मौजूदा वित्तमंत्री की जुबानी जंग तेज़ है. पहले यशवंत सिन्हा ने लेख लिखकर और फिर मीडिया के सामने आकर देश की ख़स्ताहाल अर्थव्यवस्था के लिए अरुण जेटली को आड़े हाथों लिया. फिर जेटली ने यशवंत सिन्हा पर पलटवार किया. नाम लिए बग़ैर कहा- वो 80 की उम्र में नौकरी ढूंढ रहे हैं. अब यशवंत सिन्हा ने एक बार फिर जेटली के इस वार पर पलटवार किया है. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में यशवंत सिन्हा ने कहा कि अगर मैं नौकरी ढूंढ रहा होता तो जेटली यहां नहीं होते. वो कह रहे हैं कि मैं निजी हमले कर रहा हूं, लेकिन ये सही नहीं है.
सिन्हा ने कहा- अर्थव्यवस्था से जुड़ी कोई बात होगी तो उसके लिए वित्त मंत्री ही ज़िम्मेदार होंगे, गृह मंत्री नहीं. सरकार स्थिति को समझने में पूरी तरह असफल है. समस्या को सुलझाने की बजाय ख़ुद की पीठ थपथपाने में लगी है. बेटे और केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा के जवाब पर यशवंत सिन्हा ने कहा कि मेरे बेटे जयंत सिन्हा को मेरे ही खिलाफ उतारकर सरकार मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. मैं भी निजी हमले कर सकता हूं, लेकिन उनके जाल में फंसना नहीं चाहता.
इससे पूर्व एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में जेटली ने कहा कि सिन्हा नीतियों की बजाय व्यक्तियों पर टिप्पणी कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सिन्हा वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम के पीछे-पीछे चल रहे हैं. वह भूल चुके हैं कि कैसे कभी दोनों एक दूसरे के खिलाफ कड़वे बोल का इस्तेमाल करते थे.
हालांकि, जेटली ने सीधे-सीधे सिन्हा का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि उनके पास पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य नहीं है, न ही उनके पास ऐसा पूर्व वित्त मंत्री होने का सौभाग्य है जो आज स्तंभकार बन चुका है. इसमें जेटली का पहला उल्लेख सिन्हा के लिए और दूसरा चिदंबरम के लिए था. उन्होंने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री होने पर मैं आसानी से यूपीए-2 में नीतिगत शिथिलता को भूल जाता. मैं आसानी से 1998 से 2002 के एनपीए को भूल जाता. उस समय सिन्हा वित्त मंत्री थे. मैं आसानी से 1991 में बचे चार अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार को भूल जाता. मैं पाला बदलकर इसकी व्याख्या बदल देता. जेटली ने सिन्हा पर तंज कसते हुए कहा कि वह इस तरह की टिप्पणियों के जरिये नौकरी ढूंढ रहे हैं. सिर्फ पीछे-पीछे चलने से तथ्य नहीं बदल जाएंगे. इससे पहले, अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालत के लिये वित्त मंत्री अरूण जेटली पर हमला करके राजनैतिक तूफान खड़ा कर चुके सिन्हा ने कहा कि अर्थव्यवस्था की हालत पर चर्चा के लिये उन्होंने पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का समय मांगा था लेकिन उन्हें समय नहीं मिला.
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यशवंत राष्ट्रीय टेलीविजन चैनलों से कहा, ‘मैंने पाया कि मेरे लिये दरवाजे बंद थे. इसलिये, मेरे पास (मीडिया में) बोलने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. मुझे विश्वास है कि मेरे पास (प्रधानमंत्री को देने के लिये) उपयुक्त सुझाव हैं.’ सिन्हा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह या पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी.चिदंबरम जैसे लोग जिन्हें वित्तीय मामलों पर विशेषज्ञ माना जाता है अगर बोलें तो उस समय की सरकार को उसे ‘सुनना चाहिये.’ उन्होंने उन लोगों की राय को ‘राजनीतिक शब्दाडंबर’ के तौर पर खारिज किए जाने के खिलाफ सलाह दी. भाजपा नेता ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार का नाम लिये बिना कहा कि केंद्रीय परियोजनाओं के लचर कार्यान्वयन के लिये उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि एनडीए पिछले 40 महीने से सत्ता में है. केंद्र की आर्थिक नीतियों पर सिन्हा के करारे हमले का उनके पुत्र और केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने भी एक अग्रणी अंग्रेजी अखबार में लेख के जरिए जवाब दिया.