गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 44 जवान शहीद हो गए। CRPF का काफिला जम्मू से कश्मीर की ओर जा रहा था। 28 साल के ठाका बेलकर इस आतंकी हमले में मौत के मुंह से निकलकर आए क्योंकि उनकी छुट्टी ऐनमौके पर मंजूर हो गई थी और वे बस से उतर गए थे।
सीआरपीएफ जवान बेलकर की 24 फरवरी को शादी होनी थी तो उन्होंने छुट्टी के लिए अर्जी दे रखी थी। हालांकि तब तक छुट्टी मंजूर नहीं हुई थी तो वह भी उस बस में सवार हो गए थे जिस परआत्मघाती हमला हुआ था लेकिन बस चलने से पहले उतर गए क्योंकि उनके पास सूचना आई कि उनकी छुट्टी मंजूर हो गई है।
अहमदनगर के परनेर तालुका में म्हसोबा जैप गांव में रविवार देर रात पहुंचे और वे अपने साथियों के खोने की इस हकीकत को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे। उनके कजिन अरुण बेलकर के मुताबिक, ‘जब से वह आए हैं, कुछ बोल नहीं रहे। वे किसी भी बात का एक-दो शब्द में ही जवाब दे रहे हैं।’
बेलकर उन 2500 सीआरपीएफ जवानों का हिस्सा थे जो कि 78 बसों में जम्मू से श्रीनगर जा रहे थे। उन्हें अलॉट की गई बस में वे चढ़े और बस चलने ही वाली थी कि उन्हें बताया गया कि उनकी छुट्टी स्वीकृत हो गई है और वे यहां से खुद जा सकते हैं। उन्हें जवानों के साथ आगे जाने की जरूरत नहीं है। अन्य जवानों ने उन्हें गले लगाया, उन्हें बधाई दी। बेलकर बेस कैम्प लौट आए और कुछ ही घंटों बाद खबर आई कि बस में मौजूद जवान शहीद हो गए हैं।
बेलकर चार साल पहले सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था और उसकी शादी आठ महीने पहले ही तय हुई थी। उन्होंने हमले के कुछ दिन पहले छुट्टी के लिए अप्लाई किया था। उनके पिता के मुताबिक वह अभी सदमे में है।