नई दिल्ली : नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट और कैशलेस पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए किए गए बदलावों से बैंकों को 3800 करोड़ रुपये का चूना लगा है। यह जानकारी देश के सबसे बड़े बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल भुगतान के लिए भारी संख्या में प्वाइंट ऑफ सेल (POS) मशीने खरीदी गई थीं। इस साल जनवरी में देश में POS मशीनों की संख्या 13.8 लाख थी, जो कि जुलाई महीने में बढ़कर 28 लाख हो गई। लेकिन बैंकों को कम MDR, कार्ड का सीमित उपयोग, टेलिकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर की बुरी परिस्थिति ने भारी नुकसान पहुंचाया है।
SBI के मुताबिक, बैंक लेनदेन से POS टर्मिनल्स पर 4700 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसमें से अगर एक ही बैंक में किये गये POS ट्रंजैक्शन को हटा दिया जाए तो यह नुकसान 3800 करोड़ रुपये का होगा।
POS का इस्तेमाल डेबिट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान के लिए किया जाता है। POS बनाम ATM शीषर्क वाली रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार ने POS इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं और बैंकों ने भी काफी POS मशीनें लगाई हैं। लेकिन दीर्घावधि की बात की जाए तो उदेश्य तभी पूरा होगा जब POS से होने वाले लेनदेन ATM को पीछे छोड़ देंगे जो कि वर्तमान स्थिति में थोड़ मुश्किल लग रहा है।
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