मोदी सरकार ने किया बुर्के का सम्मान, मुस्लिम महिलाओं को दिया सबसे बड़ा हक

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत देश के सभी लोगों को अपना घर देने के लिए मोदी सरकार काम कर रही है। लेकिन अब सरकार के अधिकारियों के सामने एक अनोखी समस्या खड़ी हो गई है। इस स्कीम के तहत आवास पाने वाली मुस्लिम महिलाएं बुर्का हटाकर तस्वीरें खिंचवाने को राजी नहीं है।

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इस योजना के तहत अधिकारियों को लाभार्थियों की तस्वीर लेनी होती है, जिसे योजना के फॉर्म में लगाया जाता है। दूसरी तरफ योजना के तहत आवास हासिल करने वाली अधिकतर मुस्लिम महिलाएं बुर्के में ही तस्वीर खिंचाना चाहती हैं।

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इस स्कीम के तहत लाभार्थियों को 1.60 लाख रुपये पक्के मकान के निर्माण के लिए दिए जा रहे हैं। हालांकि योजना के तहत रकम को रिलीज करने से पहले अधिकारियों के लिए यह जरूरी होता है कि वे लाभार्थी की तस्वीर और भूमि की समस्त जानकारी को प्रधानमंत्री आवास योजना के पोर्टल पर अपलोड करें। इस काम में अधिकारियों को मुस्लिम महिलाओं की ओर से बुर्का में ही तस्वीर खिंचाने की मांग से मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर मुस्लिम बहुल इलाकों में यह समस्या आ रही है।

 उत्तराखंड के देहरादून, रुड़की और हरिद्वार में कई महिलाओं ने बुर्का उठाकर तस्वीर खिंचाने से इनकार कर दिया। ऐसे में अधिकारियों ने इस समस्या का समाधान निकालते हुए महिलाओं की बुर्के में ही तस्वीरें ली हैं, लेकिन उनके हाथों में उनके नाम लिखी तख्तियां थमा दी हैं ताकि उनकी पहचान पुख्ता हो सके। देहरादून के मुख्य विकास अधिकारी बंसीधर तिवारी ने कहा, ‘हमने महिलाओं को अपने स्तर पर समझाने का प्रयास किया और उन्हें बताया कि यह उनके ही फायदे के लिए होगा। लेकिन, उन्होंने अपनी संस्कृति का वास्ता देकर इससे इनकार कर दिया। हमें पर्वतीय इलाकों में भी इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ा, लेकिन समझाने पर महिलाएं तस्वीरों के लिए राजी हो गईं।’
 

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