शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन चुके हैं, लेकिन अगर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए मान जाता तो आज महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की दोबारा सरकार बन चुकी होती क्योंकि शिवसेना देवेंद्र फडणवीस की जगह गडकरी को मुख्यमंत्री बनाने और ढाई साल के लिए अपना मुख्यमंत्री बनाने की शर्त छोड़ने के लिए मान गई थी।
शिवसेना ने यह प्रस्ताव भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा को दिया था, लेकिन भाजपा शीर्ष नेतृत्व इसके लिए राजी नहीं हुआ जबकि फडणवीस की जगह गडकरी के नाम पर संघ की भी सहमति थी।
यह जानकारी देने वाले भाजपा और शिवसेना के करीबी सूत्रों ने बताया कि विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद जब शिवसेना सत्ता के बराबर बंटवारे और ढाई साल के लिए शिवसेना का मुख्यमंत्री बनाने की अपनी जिद पर अड़ी तो भाजपा के रणनीतिकारों ने उद्धव ठाकरे को मनाने की जिम्मेदारी नितिन गडकरी को सौंपी।
गडकरी ने मुंबई आकर ठाकरे से बात की और यह सहमति बनी कि अगर भाजपा गडकरी को मुख्यमंत्री बनाती है तो शिवसेना आदित्य ठाकरे को उप मुख्यमंत्री बनाकर अपनी शर्त छोड़ देगी। इसके बाद गडकरी नागपुर गए और उन्होंने वहां सर संघचालक मोहन भागवत से इसकी चर्चा की तो वह भी इस बदलाव के लिए राजी हो गए।
बताया जाता है कि उन्होंने कहा कि देवेंद्र और नितिन दोनों ही उनके प्रिय और संघ के स्वयंसेवक हैं। इसलिए अगर पहले पांच साल देवेंद्र फडणवीस को मौका मिला तो अब अगर नितिन गडकरी बनते हैं तो संघ को कोई एतराज नहीं होगा।